Sunday, January 12, 2014

अच्छा दिखाई दे

देखें करीब से भी तो अच्छा दिखाई दे
एक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे
अब भीख मांगने के तरीके बदल गए
लाजिम नहीं कि हाथ में कासा दिखाई दे
नैज़े पे रखके और मेरा सर बुलंद कर
दुनिया को एक चिराग तो जलता दिखाई दे
दिल में तेरे ख्याल की बनती है एक धनक
सूरज सा आईने से गुजरता दिखाई दे
चल जिंदगी की जोत जगाये अजब नहीं
लाशों के दरमियाँ  कोई रस्ता दिखाई दे
हर शै मेरे बदन की 'जफ़र ' कत्ल हो चुकी
एक दर्द की किरण है कि जिन्दा दिखाई दे
"जफ़र गोरखपुरी "

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