एक बात
रातों की बेचैनी दिन की थकन ने साथ निभाया
यादों के फटे हुए इस कफ़न ने साथ निभाया
बरसों से जल रहा हूँ इस गरीबी की आग में
ना काबिले जीकर इस जलन ने साथ निभाया ॥
गरीब के लिए तो साँस भी लेना मुहाल है यारो
जीने की बारीक सी इस लगन ने साथ निभाया ॥
आँखों में बस गयी है मेरे उसकी भोली तस्वीर
मिलेगी कभी तो की इस तपन ने साथ निभाया ॥
वतन की वफ़ा और उसका प्यार ना छोड़ पाया
मेरे मिजाज मेरे इस चलन ने साथ निभाया ॥
रातों की बेचैनी दिन की थकन ने साथ निभाया
यादों के फटे हुए इस कफ़न ने साथ निभाया
बरसों से जल रहा हूँ इस गरीबी की आग में
ना काबिले जीकर इस जलन ने साथ निभाया ॥
गरीब के लिए तो साँस भी लेना मुहाल है यारो
जीने की बारीक सी इस लगन ने साथ निभाया ॥
आँखों में बस गयी है मेरे उसकी भोली तस्वीर
मिलेगी कभी तो की इस तपन ने साथ निभाया ॥
वतन की वफ़ा और उसका प्यार ना छोड़ पाया
मेरे मिजाज मेरे इस चलन ने साथ निभाया ॥
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