अदम गौंडवी
काजू भुने प्लेट में विह्स्की गिलास में
उतरा है रामराज्य विधायक निवास में
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में
आजादी का ये जश्न मनाएं वे किस तरह
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें
संसद बदल गयी है यहाँ की नखास में
जनता के पास एक ही चारा है -- बगावत
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो हवास में
अदम गौंडवी
गजल को ले चलो अब गाओं के दिलकश नजारों में
मुसलसल फन का दम घुटता है इन अदबी इदारों में
न इनमें वो कशिश होगी , न बू होगी , न रअनाई
खिलेंगे बेशक फूल लॉन की लम्बी कतारों में
अदीबो , ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ
मुलम्मे के सिवा क्या है फलक के चाँद तारों में
रहे मुफलिस गुजरते बेयकीनी के तजरबे से
बदल देंगे ये महलों की रंगीनी मजारों में
कहीं पर भुखमरी की धुप तीखी हो गयी शायद
जो है संगीन के साये की चर्चा इश्तहारों में
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