Saturday, January 25, 2014

ADAM GAUNDVEE

अदम गौंडवी 
काजू भुने प्लेट में विह्स्की गिलास में 
उतरा है रामराज्य  विधायक निवास में 
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत 
इतना असर है खादी के उजले लिबास में 
आजादी का ये जश्न मनाएं वे किस तरह 
जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में 
पैसे से आप चाहें तो सरकार  गिरा दें 
संसद बदल गयी है यहाँ की नखास में 
जनता के पास एक ही चारा है -- बगावत 
यह बात कह रहा हूँ मैं होशो हवास में 
अदम गौंडवी 
गजल को ले चलो अब गाओं के दिलकश नजारों में 
मुसलसल फन का दम घुटता है इन अदबी इदारों में 
न इनमें वो कशिश होगी , न बू होगी , न रअनाई 
खिलेंगे बेशक फूल लॉन की लम्बी कतारों में 
अदीबो , ठोस धरती की सतह पर लौट भी आओ 
मुलम्मे के सिवा क्या है फलक के चाँद तारों में 
रहे मुफलिस गुजरते बेयकीनी के तजरबे से 
बदल देंगे ये महलों की रंगीनी मजारों में 
कहीं पर भुखमरी की धुप तीखी हो गयी शायद 
जो है संगीन के साये की चर्चा इश्तहारों में 

No comments:

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive