फुर्सत मिले तो तुम कभी मेरे भी भीत्तर देखना
पथरों पर सिर पटकता एक समंदर देखना
धुप मिटटी खाद पानी ने जिसे धोखा दिया
सब्ज धरती पर तड़पता तुम वो बंजर देखना ----
पथरों पर सिर पटकता एक समंदर देखना
धुप मिटटी खाद पानी ने जिसे धोखा दिया
सब्ज धरती पर तड़पता तुम वो बंजर देखना ----
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