दलित वर्ग के सन्दर्भ में मुक्ति संग्राम दो शक्तियों के विरुद्ध है । ये शक्तियां हैं --ब्राह्मणवादी और पूंजीवादी । आंबेडकर ने कहा था कि इस देश में मजदूर वर्ग के दो शत्रु हैं -- ब्राह्मणवाद और पूंजीवाद । उनके आलोचक, जिसमें समाजवादी मुख्य रूप से थे , ब्राह्मणों को मजदूरों के रूप में समझने में असफल हो गए थे \
यदि उनहोंने इस शत्रु को समझ लिया होता तो उनकी जंग कमजोर नहीं पड़ती और मजदूर एकता कभी की हो गयी होती । आंबेडकर ने कहा था कि ब्राह्मणवाद ब्राह्मण समुदाय के विशेषधिकारों या उनकी सत्ता का नाम नहीं है बल्कि इसका अर्थ स्वतन्त्रता , समानता और भ्रातृत्व की भावना को नकारना है । और इस अर्थ में उन्होंने कहा कि यह सभी वर्गों में मौजूद है और यहाँ तक कि मजदूर वर्ग में भी ब्राह्मणवाद मौजूद है । उनहोंने कहा कि यह बड़ा शत्रु है जिसने आर्थिक अवसरों के क्षेत्र को प्रभावित किया है
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