बात पते की
घनी तेजी न पकड़ै
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जैसे ही मुख्यमंत्री बने, वैसे ही बिजली का बिल आधा कर दिया और जरूरतमंद परिवारों को 5 हजार लीटर पानी देने का वादा पूरा कर दिया। यही नहीं एक टीवी चैनल द्वारा स्टिंग ऑपरेशन के तुरंत बाद केजरीवाल ने घूसखोर अधिकारी को सस्पेंड कर दिया। अब तक केजरीवाल 800 से ज्यादा ट्रांसफर कर चुके हैं। लेकिन अब तक केजरीवाल सरकार में जितना काम हुआ है उससे कहीं ज्यादा उसका ढोल पीटा गया है। ढोल केजरीवाल नहीं बल्कि उनके साथी पीट रहे हैं। अगर राजनीति की भाषा में कहें तो आप की सरकार में काम कम और हर चीज का प्रोपोगैंडा ज्यादा हो रहा है। दिल्ली में आगे क्या करें, क्या नहीं, यह जानना है, तो हमारी सलाह केजरीवाल को है कि वो
बात पते की
जै केजरीवाल नै असल मैं कुछ करकै दिखाना सै तो एक कसूता आजमाया औड़ नुस्खा हाजिर सै
भारत में इतिहास रचने वाले राजा विक्रमादित्य और जलाल-उद-दीन अकबर को पढ़ें। इन दोनों शासकों में एक समानता थी। दोनों ही दिन में दरबार में आम आदमी से दूरी बना कर निष्पक्ष होकर निर्णय लेते थे और रात को वेश बदल कर आम आदमी के घर जाकर रोटी खाते थे और उनकी समस्याएं सुनते थे।
बात पते की
जिस समाज में कुछ वर्गों के लोग जो चाहें वह सब कुछ कर सकें और बाकी वह सब भी न कर सकें जो उन्हें करना चाहिए , उस समाज के अपने गुण होते होंगे , लेकिन उनमें स्व्तंत्रता शामिल नहीं होगी । अगर इंसानों के अनुरूप जीने की सुविधा कुछ लोगों तक ही सिमित है , तब जिस सुविधा को आमतौर पर स्वतंत्रता कहा जाता है , उसे विशेषाधिकार कहना उचित है ।
डॉ भीम राव आंबेडकर
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