भूमंडलीकरण के अनेक रूप हैं और हो सकते हैं । कुछ मुख्य और प्रचलित रूपों की सैद्धान्तिक रूप से संभव तथा अन्य रूपों से भिन्न ता को चिन्हित करके किस परिभाषा या अवधारणा को क्यों स्वीकार किया जाये यह काफी विमर्श के बावजूद अभी भी विचारणा का विषय है । भूमंडलीकरण के किन रूपों को त्याज्य और खतरनाक (क्यों और कैसे स्पष्ट करते हुए ) मानना जरूरी है ? देश की विदेशी संबंधों की नीति के बारे में स्पष्ट ,सुविचारित , बारीक -नुक्तों को सम्भालते हुए भूमंडलीकरण के बारे देखें कौन से विचार , नीतियां , जीवन शैली और विकास -पथ चयनीय हैं? विचार और मत ऐसे होने चाहियें जो हमें महज अपने में ही न बाँध दें , जो हमें अपने देश और लोगों के साझे हितों , सरोकारों , विरासत के साथ -साथ अन्य देशों,लोगों, संस्कृतियों से कटे नहीं , बल्कि उनके साथ एकजुटता साधने में सहायक हों । प्रत्यक्षत या अन्यथा एक ऐसा समता आधारित भूमंडलीकरण यदि कुछेक देशों की चौधराहट में संचालित वर्तमान भूमंडलीकरण के विकल्प के रूप में उभरे तो काया यह सोने में सुहागा नहीं होगा ? भूमंडलीकरण की एक बहुप्रचलित जन विरोधी अवधारणा , रीति नीति और जीवन शैली को श्रेयश और प्रेयस बनाकर लागू करने की चाल बाजी को पहचान ना जरूरी हो गया है -सिद्धान्त , व्यवहार और वैधता
की खोज के स्तरों पर ।
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