Tuesday, April 2, 2013

कृतघ्नता

अजी ऐजी  जगत मैं बहुत बुरी कृतघ्नता ।
अन्दर से दिल काला -काला ऊपर से प्रसन्नता ।
मित्र से इकरार करे वक्त पर इंकार करे
बातन में खार करे बातन में प्यार करे
अपना बेडा पार करे मित्र का मझधार करे
अपने को हुश्यार फरे उस पर मीठी मार करे
कभी नहीं टार करे मित्र उस पर पार वार करे
ताज लाज और कनता ॥ १॥
कृतघ्नता का दूजा नाम दुनिया में विश्वासघात
मिल कर धोखा देना वही एक है बात
एक नाम इसका और ज़माने में है वि ख्यात
जिसको हम अहसान फरामोशी भी कहते हैं भ्रात
अहसान के बदले में भाई जो करता उत्पात
बाज प्राण तक हनता ॥ २॥
एक तो मिसाल पृथ्वी राज जी की याद आयी ।
सत्रह बार शाह गौरी की कर्र हाती फरयाद आयी
बादशाह के साथ साथ फौजों की तादाद आयी
लेकिन पृथ्वी राज जी ने राजनीति तोड़ दई
 सतरह बार पकड़ पकड़ गौरी फ़ौज छोड़ दई
बदले में गौरी ने उनकी दोनों ऑंखें फोड़ दई 
जान रही सब जनता ॥ ३॥ 

No comments:

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive