हाय रोटी
जय जय रोटी बोल जय जय रोटी ।
बिन रोटी बेकार जगत मैं दाढी और चोटी --बोल जय ।
गर्मी सर्दी धुप बर्फ जिसने सर पै ओटी ।
पूंजी पति ने बुरी तरह उसकी गर्दन घोटी --बोल जय ।
दाना खिलाया दूब चराई और हरी टोटी ।
जिस दिन ब्याई खोल के ले गया सूदखोर झोटी ---बोल जय ।
मंदिर मस्जिद और शिवाले की चोटी खोटी ।
बिन रोटी कपडे के ये सब चीजें हैं छोटी --बोल जय ।
नहीं हम चाहते महल हवेली नहीं चाहते कोठी ।
हम चाहते हैं रोटी कपडा रहने को तम्बोटी ---बोल जय ।
मेहनत कशो एक हो जाओ कस कर लंगोटी ।
सारी दुनिया तेरे चरण में फिरे लोटी लोटी ---बोल जय ।
जिसने रोटी छीन हमारी की गर्दन मोटी ।
पृथ्वीसिंह 'बेधड़क ' होय उनकी ओटी बोटी --बोल जय
जय जय रोटी बोल जय जय रोटी ।
बिन रोटी बेकार जगत मैं दाढी और चोटी --बोल जय ।
गर्मी सर्दी धुप बर्फ जिसने सर पै ओटी ।
पूंजी पति ने बुरी तरह उसकी गर्दन घोटी --बोल जय ।
दाना खिलाया दूब चराई और हरी टोटी ।
जिस दिन ब्याई खोल के ले गया सूदखोर झोटी ---बोल जय ।
मंदिर मस्जिद और शिवाले की चोटी खोटी ।
बिन रोटी कपडे के ये सब चीजें हैं छोटी --बोल जय ।
नहीं हम चाहते महल हवेली नहीं चाहते कोठी ।
हम चाहते हैं रोटी कपडा रहने को तम्बोटी ---बोल जय ।
मेहनत कशो एक हो जाओ कस कर लंगोटी ।
सारी दुनिया तेरे चरण में फिरे लोटी लोटी ---बोल जय ।
जिसने रोटी छीन हमारी की गर्दन मोटी ।
पृथ्वीसिंह 'बेधड़क ' होय उनकी ओटी बोटी --बोल जय
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