याह सोच सै औरत नै "देवी" मानण अल्यां की --पुत्र लालसा
आज धार्मिक परमपरावां अर संस्कृतियाँ के नाम पै महिलावां के संवैधानिक अर कानूनी अधिकारों पै कसूता हमला बोल्या जावन लाग रया सै |खासकर हिन्दू धर्म मैं जड़े अंध आस्था अर कर्म कांडों का डूंडा पाड़ राख्या सै | हर पांचमें मील पै एक मंदिर देख्या जा सकै सै | आज यो बहोत जरूरी होग्या सै अक हम संस्कृति नै झाड़ पूंछ कै उस पक्ष नै समझां अर देखां अक ये सब ढकोसले किस हद तक महिला विरोधी सें | पुत्री का कत्ल कर कर कै हर घर मैं पुत्र प्राप्ति हों लागरी सै | इसकी जड़ बहोत घनी डून्घी सें | माहरे समाज के पितृ सतात्मक ढांचे मैं धन दौलत के वारिस के रूप मैं पुत्र की कामना करी गयी सै | ऋग्वेद मैं पुत्रां की खातिर तीन शब्दों का प्रयोग पाया जा वै सै --- वीर , पुत्र अर सूनु | ऋषि कक्षीवत एक सुक्त मैं कह वै सै अक ' पति: स्यां सुगव: सुवीर : | पुत्रां की लालसा आले दंपति प्रार्थना करैं सें ---' कामोराय: ---' यो कर्मकांड गर्भाधान संस्कार एक हिस्सा हुया करदा | सप्तसदी के बाद वधू ताहीं आशीर्वाद दिया जाया करदा अक इन्दर उसनै दस पुत्र प्रदान करै --"दशस्यां धेही " | आज भी हिन्दू धर्मानुसार ब्याह मैं सात फेरयां अर कन्यादान के बाद ऋग्वेद का योहे मन्त्र दोहराया जा वै सै | मनु के विधान मैं ज्येष्ठ पुत्र के जन्म की साथ साथ पुरुष पितृ ऋण तैं मुक्त हो कै अमृतत्व लाभ करै सै | पुत्र समस्त पापों तैं मुक्त करै सै अर प्रपोत्र सूर्यलोक मैं वास का कारण बनै सै | अर्थात पुरुष की बंस रक्षा परंपरा की खातिर बेटे तैं लेकै बेटे के बेटे अर उसके बी बेटे मतलब तीन पीढ़ी ताहीं पक्की शास्त्रीय व्यवस्था करी गयी सै | असल मैं पुत्र लालसा ताहीं बड़ी मनो वैज्ञानिक चतुराई से शास्त्रकारों नै माणस के मन की गहराई मैं रोप्पन की चेष्टा मैं स्वर्ग अर नरक की कल्पना करी अर यो विधान का आतंक कायम कर दिया अक पुत्रहीन की खातिर नरक अवश्यम्भावी सै | नयों भी कहया गया अक जै पिता जीवित पुत्र मुंह देख ले तो वो अपने सारे ऋणों तैं मुक्त हो ज्या सै अर अमृतत्व प्राप्त कर लेवै सै | एक श्लोक मैं नयों भी कहया बताया अक इस संसार मैं पैदा होवण आले जीवां की खातिर जितने भी भोग अर सुख के साधन धरती अर अग्नि अर जल मैं सें उन तै भी फालतू पिता की खातिर पुत्र मैं सें | पिता सदा पुत्र द्वारा ही विपतियों को पार करता है | आत्मा आत्मा तैं पैदा होकै पुत्र कहला वै सै अर याहे संसार कै पार ले ज्या वन आली श्रेष्टतम नाव सै | स्त्री सखा है , पुत्री दुःख का कारण , पुत्र परलोक मैं भी ज्योति दिखावन का काम करै सै | इन सारे उधारणों पर गौर करेँ तो बड़ी हैरानी हो वै सै | माँ के शरीर का एक अंश उससे उत्पन पुत्र पिता तैं स्वर्ग, अमृतत्व , इहलोक, परलोक, सब कुछ दे वै सै फेर माता को देवन की खातिर कोए शास्त्रीय विधान क्यों नहीं सै ??? पितृ सत्ता नै शाश्वत बनाये राखन खातिर औरत के लिए एक मात्र आदर्श एक आदर्श पुत्र की माता होना सै | मनु नै और अनेकों नै उसे केवल खेत मान्या , जिस मैं पुरुष बीज बोवन का काम करै सै | मनु ए नहीं कौटिल्य नै भी स्वीकृति दी " पुत्रार्थे क्र्यते भार्या" अर्थात पुत्र की खातिर ही पत्नी की जरूरत है | ऐतरेय ब्राह्मन नै बार बार कहया सै अक पुरुष नै खुश अर संतुष्ट राखन का सर्वोतम उपाय सै पुत्र को जन्म देना | मनु नै कहया सै अक जै ब्याह के आठ साल पाछै बी स्त्री संतान नै जन्म ना दे अथवा दस बरस ताहीं जै कन्या नै जन्म दे अथवा मृत पुत्रों को जन्म दे तो पुत्र लाभार्थ पति दूसरा ब्याह करे | क्योंकि पुत्र जनन तै न्यारा स्त्री का कामै के था ??? गर्भा धान पाछै पुंसवन संस्कार मैं गर्भ को पुत्र मैं बदलन की खातिर प्रार्थना का भी विधान सै |" अभागे का बैल मरै, सूभागे की बेटी |" या कहावत के दर्शावै सै ?? के या महिला विरोधी नहीं सै ?? जै लडकी का , औरत का अस्तित्व बचाना सै तो इस "पुत्र लालसा " कै खिलाफ जंग का बिगुल बजाना ए पडेगा | किते किते फुसफुसाहट तो सै फेर और ठाडा जंग लड़ना होगा \ फेर नयों मतना कहियो म्हारी पुरानी परम्पराओं पै चोट करै सै यो पागल डाक्टर . गेर रै गेर पत्ता गेर |
रणबीर
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