Tuesday, April 3, 2012


जाट आरक्षण 
खरी खोटी
रणबीर
आज काल जाट आरक्षण नै लेकै माहौल बहोत गरमारया सै। इसपै जावण तै पहलम एक बात याद आगी मेरै। कई साल पहलम पंजाब के किसानां नै अपनी किसानी की मांगां की खातिर पंजाब सचिवालय घेरण का ऐलान कर दिया। हरियाणा के किसानां नै बी मदद करी। अम्बाला के राह मैं आवभगत बी करी। घेराव चौखा होग्या। पंजाब की सरकार की चिन्ता बधगी। पंजाब पंजाब की सरकार की नहीं अमरीका की सरकार ताहिं के पायां तले की धरती खिसकगी। 15 दिन पाछै भिंडरआला नै अमृतसर मैं डेरे गेर दिए अर पंजाब मैं के हुया यो सबनै बेरा सै। पंजाब बोडर का  सै। इसे तरियां हरियाणा मैं बी किसान घणे संकट मैं सैं। खेती की पैदावार कम होगी। धरती की उपजाउ ताकत कम होन्ती जाण लागरी सै। खेती मैं काम आवण आली चीजां के दाम कई गुणा बधगे। पैदावार के दाम मन्डी मैं आढ़ती लावै। जाट आढ़ती बाकियां तैं फालतू खाल तारनिया। उपर तैं पढ़ाई महंगी, दवाई महंगी। जड़ किसानी की तो कड़ टूटती जावण लागरी सै। जमीन की जोत दो किल्ले तैं तलै जाली। बहुत-सी जागां धरती एक्वायर होगी अर कै किसान नै मजबूरी मैं बेचनी पडऱी सै। अमीर अर गरीब किसान की खाई बधती जावण लागरी सै। पहलम तो जात के गूंद तै इस खाई की तरेड़ चिपका कै भरदी जावै थी फेर ईब या खाई इतनी चौड़ी होगी अक पाटणी मुश्किल होन्ती जावण लागरी सै।। इस करकै जात के ठेकेदारां की दुकानें बन्द होवण के खतरे पैदा होवण लागरे सैं। हरियाणा का किसानकास्ट कन्सियसनैसतैंक्लास कन्सियसनैसकान्हीं डिंग धरण लागर्या सै। इस करकै जात के ठेकेदार, जात की राजनीति के पैरोकार, भारत देश का सरमायेदार, केन्द्र की सरकार, विकसित देशां के सरमायेदार अर इन देशां की सरकार इन सबकै झटके लागने शुरू होज्यां सैं। अपने झटक्यां तैं पैंडा छटवावण के मारे ये दुनिया की किसानी नै बांट कै न्यारे न्यारे संकुचित दायर्यां मैं राखण की खातिर उपर तैं लकै नीचे ताहिं एक होज्यां सैं। अर जात पै, गोत पै, खाप की आड़ मैं, मजहब के नाम पर, इलाके नाम पर किसानी नै बांट कै राखण के कारखाने इनके चालते रहवैं सैं। अर ईब बी कुछ कारखाने तेज कर दिये जिन मां तैं खाप का, गोत का, जात का, अर आरक्षण का कारखाना हरियाणा के संदर्भ मैं फिट हथियार सै। पंजाब के किसान नै तो ईब ताहिं ओसाण नहीं लिया उस खालिस्तान के चक्कर मैं पड़े पाछै। हरियाणा के किसान की बी जात गोत अर आरक्षण के नाम पर कड़ तोड़ण की तैयारी सै। कमाल की बात या सै अक इन्है सरमायेदारां नै अर ठेकेदारां नै गरीब किसान जिसमैं गरीब जाट किसान बी सै वो आज इसी हालत मैं पहोंचा दिया अर ईब इसकी गरीबी का औड्डा लेकै आरक्षण के नाम पर इन गरीब किसानां की खाट खड़ी करण लागर्या सै अर अपनी राजनिति अर ठेकेदारी चमकावण लागर्या सै। या घणी कसूती चाल सै जो गरीब किसान की समझ मैं ईब्बै नहीं आन्ती।
इस बैकग्राउन्ड मैं जै जाट आरक्षण का मुद्दा देख्या अर समझ्या जावै तो बहीेत सी बात साफ होकै साहमी आज्यां सैं। मेरे हिसाब तैं जाण-बूझ कै इस आरक्षण के मुद्दे का मजाक बनाया जाण लागर्या सै। एक कान्ही खाई बधा दी अर दूसरी कान्ही आपस मैं लड़ा दिये। फेर बी इनकी चाल फेल करी जा सकै सै। आरक्षण पर कह्या जा सकै सै अक दलित आरक्षण रहे। बैकवर्ड क्लास आरक्षण क्रिमी लेयर को नहीं मिलै। सभी स्वर्ण जातियों के आर्थिक आधार पर कमजोर तबकों के लिए आरक्षण हो। और इन सब मैं जैंडर के हिसाब तैं बी आरक्षण हो क्योंकि महिलाएं हाशिए पर फैंकी जावण लागरी सैं। ईब्बै समझ मैं कोन्या आवै। मरकै समझ मैं आवैगी पंजाब के किसान की ढालां। अर फेर न्यों कहवैगा ओहले मनै के बेरा था न्यों बणज्यागी। दूसरी बात इन सरमायेदारां नै पीस्से के आरक्षण पर कोए आपत्ति नहीं सैं। सारी जागां सै यो आरक्षण नौकरियां मैं, दाखिल्यां मैं। बाकी फेर कदे सही।

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