खेल मीडिया का
मीडिया एक इसा बाजार तंत्र सै जिसकी दिशा निर्धारित करी जावै सै अर इसकी या दिशा लाभ मतलब मुनाफा ए तय करै सै | मीडिया का मालिक मीडिया की विषय वस्तु मतलब इसकी सामग्री नै तय करै सै | लोगां कै कोए बात जंचावन की खातिर यो मीडिया खास ढंग तैं प्रोपगंडा कहो या प्रचार कहो करै सै | मीडिया की तासीर समझन की खातिर पाँच छालनीयाँ महँ कै छानना पडै सै |
पहली छालनी सै पीस्सा ------ मालिक का पीस्सा मीडिया मैं लागै सै | उसका मकसद सै लाभ कमाना | मीडिया के मालिक घने कोन्या क्योंकी यूं बड़े धन्ना सेठों का खेल सै जो घने कोन्या | कम्पीटीसन माडा कम सै इस धंधे मैं |
दूसरी छालनी सै विज्ञापन ------ आमदनी का तगड़ा साधन सै विज्ञापन | विज्ञापन पीस्सा तो कमा वै ए सै फेर और के के गुल खिलावै सै या न्यारी बात सै | इसपे फेर कदे सही |
तीसरी छालणी सै जानकारी अर उस पै भरोसा ---- या जानकारी , सरकार व्यवसाय और विशेषज्ञ की तिकड़ी मिलके बनै सै | इन तीनूं का आपस मैं कसूता गठजोड़ सै क्योंकि इनके सबके हित आपस मैं नालबध सें | इसमें इस विशेषज्ञ की भूमिका घनी खतरनाक बताई | यो उसे २० प्रतिशत वाले वर्ग तैं आवै सै अर अपनी इस काबलियत का अर विशेषज्ञता का फ़ायदा खुद भी खूब ठावै सै अर उन्हें लोगां तक पहोंचावै सै | सरकार अर व्यवसाय इसका कसूता फायदा ठावैं सें |
चौथी छालणी सै आलोचना ---- इसका वास्ता मीडिया की या भरोसे या सच्चाई या यथातथ्यता नैं ले कै ठावन आले सवालों से है | जिसकी जितनी ताकत सै , वो उतने ऊंचे सुर मैं मीडिया की आलोचना करवा सकै सै |
मीडिया नै समझान की पांचवीं छालणी सै साम्यवाद विरोध------ सोवियत संघ के विघटन के पाछै साम्यवाद का विरोध करना अमेरिका की खातिर एक बड़ा पुण्य का काम होग्या | पीसा बनाने के बाद साम्यवाद का विरोद्ध मीडिया का दूसरा मूल्य सै | बीच बीच मैं ओसामा , अर सद्दाम बी आ टपकें सें |
मीडिया मतलब किसे अख़बार या टी वी चैनल का के पक्ष सै इसका फैंसला वैज्ञानिक वस्तु परकता अर सहज बोध तैं ए करया जा सकै सै |म्हारे जीवन की बहोत सी चीज तय करै सै यो मीडिया मतलब म्हारे पै राज करण का कसूता हथियार सै जालिम के हाथां मैं जिस दिन आम आदमी या बात समझ ज्यागा उस दिन पासे पलट ज्यांगे | आई किमैं समझ मैं | गेर राय गेर पत्ता गेर | यूं डाक्टर १३ वार्ड मैं खुद बी जागा अर हमनै बी लेज्यगा |
ranbir
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