Sunday, April 22, 2012

YOUTH OF HARYANA APPEALING SENIORS



  • रणबीर
खरी खोटी
आज देश एक चौतरफा संकट के दौर तै गुजर रहया सै। उदारीकरण वैश्वीकरण के इस दौर मैं चारों कान्ही भारी आर्थिक संकट  है : बेरोजगारी, छंटनी, महंगाई, लूट-खसोट सै अर दूसरे कान्ही अपराधछेड़खानी, बलात्कार, अपहरण, खरीद-फरोख्त दहेज की कसूती मार पड़ण लागरी सै। ऐसी विकट परिस्थिति मैं महिलाएं अर खास करकै युवा लड़कियां बहोत तनाव अर घुटन असुरक्षा के माहौल मैं जीवण नै मजबूर सैं। गरीब माणसां की हालत बी बहोत मुश्किल मैं सै। मौजूदा दौर के इस समाज को जै लड़कियों की नजर तैं देख्या जा तो समाज का एक बड़ा हिस्सा मानसिक बीमारी तैं घिरया औड़ दीखै सै। इस का जीता जागता उदाहरण सै अक छोटी-छोटी बच्चियां गेल्यां बलात्कार की घटना, 70-80 साल की बुजुर्ग महिलावां गेल्यां बलात्कार। कोई इसा रिश्ता नहीं सै जो तार-तार हुआ हो कलंकित हुआ हो। अर लड़कियां उन्हीं के द्वारा धोखेबाजी का शिकार हुई जिन पर उन्हीेंने सबसे ज्यादा विश्वास करया। आज जब आधे से ज्यादा बलात्कार घरों में ही अपने सगे-संबंधियों परिचितों के द्वारा किये जावण लागरे हों तो अभिभावकों की अपनी बच्चियों के प्रति चिन्ता स्वाभाविक ही होवैगी। एक शिक्षक का रिश्ता जो सबसे अधिक पवित्र मान्या जावै सै वोह भी दागदार हुआ सै। इस समय आप देखैं तो हरियाणा मैं सामाजिक मूल्यां मैं भारी गिरावट दिखाई देवै सै। अपसंस्कृति की महामारी को आक्रामक ढंग तै विस्तार दिया गया सै। बाजारी संस्कृति के फूहड़ दृश्य,ग्लेमर की दुनिया की चकाचौंध, नई-नई कारें, मोबाइल फोन,कैसिनो, नंगी फिल्में, पोर्नोग्राफी, घटिया साहित्य, घटिया कैसेट, स्त्रियों से सम्बन्धित घ्टिया चुटकुले, हरयाणवी पॉप म्यूजिक, साइबर कैफे के नाम पर सेक्स की दुकानेंये सैं आज के दौर के मनोरंजन के साधन। इस के कारण समाज निरन्तर गिरावट की तरफ स्पीड पकड़ रहया सै जिसका खमियाजा महिलाओं खासकर युवा लड़कियों को भुगतना पडऱया सै। कसर लड़क्यां के बिगाड़ण मैं भी नहीं छोड़ राखी सै म्हारे हुकमरानां नै।
लड़कों के लिए नशे के अम्बार ला दिये नशाघर खोल कै। नशेड़ी बनाओ सब्ज बाग दिखाओ। अपनी जरूरत पूरी करण नै पीस्सा चाहिए। इस खातिर लड़कयां के माफिया बणगे। देखो रै किस्सा चाला होरया? इन ऊर्जावान लड़के-लड़कियों को स्वस्थ समाज बनाने का काम हमनै दिया कोन्या। अर अपने आप तैं इननै लिया कोन्या। प्रेम के नाम पर क्रूरता का जनून सै। तेजाब फेंकने इत्यादि के सैकड़ों उदाहरण मिलज्यांगे। तरुण अर कम उमर के लड़का-लड़की अपसंस्कृति के शिकार तेजी तैं होण लागरे सैं। युवतियों का जीवन और भी अधिक मुश्किल हुआ सै। घर मैं, स्कूल मैं, बस मैं सफर करते हुए,बाजार मैं, नौकरियों अन्य कार्य स्थलों पर। म्हारे बुजुर्गाे! कुछ तो समझो म्हारी पीड़ा नै अर म्हारा साथ देवो इस समाज नै राह पै ल्यावण की खातर। म्हारे ताहिं कोसते रहवण तैं बात कोन्या बनने आली। सोचियो, थोड़ा सा बख्त काढ़ कै, यह अपील सै म्हारी।

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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