चलते चलते जिन्दगी में मिला एक राहगीर मुझको||
मिल बैठे कुछ बात हुयी मन भाई तासीर मुझको ||
कुछ तो था पर क्या था उसमें अब तक सोच रही
दिमाग लगा कर देखा साफ नहीं तस्वीर मुझको ||
उसका हँसना ही था सायद जिसने मुझको बांध लिया
याद आती उसके चेहरे की एक एक लकीर मुझको ||
कुछ पल मिल बैठे हम अपने दिलों में झांक सके थे
दरिया दिल इंसान मिला बांध गया जंजीर मुझको ||
साथ चले साथ हँसे साथ ही जुल्मो सितम झेले हमने
संभल के चलना यारो बता गया ये रणबीर मुझको ||
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