Monday, April 23, 2012

चलते चलते जिन्दगी में मिला एक राहगीर मुझको||



चलते  चलते  जिन्दगी में मिला एक राहगीर मुझको||
मिल बैठे कुछ बात हुयी  मन भाई तासीर मुझको ||
कुछ तो था पर क्या था उसमें अब तक सोच रही
दिमाग लगा कर देखा साफ नहीं तस्वीर मुझको ||
उसका हँसना ही था सायद जिसने मुझको बांध लिया
याद आती उसके चेहरे की एक एक लकीर मुझको ||
कुछ पल मिल बैठे हम अपने दिलों में झांक सके थे
दरिया दिल इंसान मिला बांध गया जंजीर मुझको ||
साथ चले साथ हँसे साथ ही जुल्मो सितम झेले हमने
संभल के चलना यारो बता गया ये रणबीर मुझको ||

No comments:

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive