Tuesday, April 24, 2012

pankaj kee kavita



शब्दों के दीप जले  , ज्ञान का प्रकाश छाए  .
 स्वप्न खुली आँखों का  , सत्य के धरातल पर ,
   सुंदर स्थापत्य पाए .            
 ज्ञान का प्रकाश छाए  
राह में अकेला तू , एक तेरी अभिलाषा ,
बोलते हैं जो भी हम , समझते हैं जिसको हम 
लिखे - पढ़े वह भाषा 
 एक तेरी अभिलाषा 
न उम्र बने बाधा , न जाति कोई बंधन
यह भेद - भाव छूटे , जंजीर सभी टूटे 
बस शब्द का हो बंधन 
न जाति कोई बंधन
आओ की पढ़ चुके जो , मिल कर सभी पढाये  
जो ज्ञान हने पाया , गुरुओं ने जो पढाया  
जग में उसे बढ़ाये 
 मिल कर सभी पढाये  
थक कर न बैठ साथी , आगे बहुत है जाना 
तूफ़ान कितने आये , हिम्मत  न तोड़ पाये
कश्ती को खेते जाना 
आगे बहुत है जाना 

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