शब्दों के दीप जले , ज्ञान का प्रकाश छाए .
स्वप्न खुली आँखों का , सत्य के धरातल पर ,
सुंदर स्थापत्य पाए .
ज्ञान का प्रकाश छाए
राह में अकेला तू , एक तेरी अभिलाषा ,
बोलते हैं जो भी हम , समझते हैं जिसको हम
लिखे - पढ़े वह भाषा
एक तेरी अभिलाषा
न उम्र बने बाधा , न जाति कोई बंधन
यह भेद - भाव छूटे , जंजीर सभी टूटे
बस शब्द का हो बंधन
न जाति कोई बंधन
आओ की पढ़ चुके जो , मिल कर सभी पढाये
जो ज्ञान हने पाया , गुरुओं ने जो पढाया
जग में उसे बढ़ाये
मिल कर सभी पढाये
थक कर न बैठ साथी , आगे बहुत है जाना
तूफ़ान कितने आये , हिम्मत न तोड़ पाये
कश्ती को खेते जाना
आगे बहुत है जाना
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Tuesday, April 24, 2012
pankaj kee kavita
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I will rather die standing up, than live life on my knees:
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