Sunday, April 22, 2012

CHAR BAAT

गऊ कहाया करते थे भारत के लोग लुगाई 
जोंक भेड़िये मग़र मछ अब देते नाग दिखाई 
बण कै जोंक लहू चूसैं यें साहूकार देश के 
भूखे नंगे फिरैं बेचारे ताबेदार देश के 
कोठी बंगल्यां महँ रहते असली गद्दार देश के 
आंख मींच कै सोगे सारे पहरेदार देश के 
भरैं तिजूरी ठोक ठोक करैं अंधाधुंध कमाई ||
बणे भेड़िये भारत के यें परमत कोत्यां वाले 
नाम कारा कै डीपू रूट दिन धोली पाड़े चाले 
मीठी मीठी बात करैं यें पर भित्तर तैं काले
अफसर और वजीरों के झट बनें भतीजे साले
बकरी भेड़ समझ निर्धन नै करज्याँ तुरंत सफाई ||
रिश्वतखोर मग़र मछ बनगे खावें ऊठ ऊठ कै
जै मिलज्या मजबूर दुखी कोए पड़ते टूट टूट कै
लाखां के मालिक बनगे लोगां नै लूट लूट कै
बिन रिश्वत ना काम करैं चाहे रोल्यो फूट फूट कै
आठों पहर रहै मुंह बाएं पापी नीच कसाई ||
काले नाग बणे जहरी यें बड़े बड़े व्यापारी
चीनी तेल नाज घी लोहा करलें कठ्ठा भारी
फ़न तानें बैठे रहें भूखी मरज्या दुनिया दारी
चढ़ज्याँ रेट शिखर मैं जब यें जीनस काढ दें सारी
ज्ञानी राम इन चार जन्याँ नै कर दी घोर तबाही ||
"हरयाणवी लोक धारा प्रतिनिधि रागनीयाँ"

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