Sunday, December 20, 2009
VINAS
लिंग अनुपात अनीमिया नै म्हारे कालस लगाया
रै दो छोर म्हारे हरयाने के नहीं मेरी समझ मैं आवें
एक कान्ही सबते बाढ़ कार हरियानावासी बनावें
महिला भ्रूण हत्या करके सबते तेज कार चलावें
गर्भ वती महिला खून कमी जापे के माह मर
जयावेंसोच सोच इन बातां नै दिमाग मेरा चकराया रै
आर्थिक विकास घना सामाजिक विकास थोडा बताते
विकास मॉडल मै मोजूद कमी नहीं खोल कै दिखाते
सचाई नै आंकड़ो बीच कई बुद्धिजीवी बी छिपाते
म्हारे नेता बी सचाई तै बहोत घना आज घबराते
पांचो घी मैं जिसकी सें हरियाणा नंबर वन भाया रै
आर्थिक विकास की माया देखो पिसा छागया चारो और
नंबर वन हरियाणा का मचाया चारो कान्ही शोर
धरती बिकती जा म्हारी औरो के बीके डांगर ढोर
शाह नै मात देवें ये समाज सेवी बनके ठग चोर
चोर दवारा साह खुले के मैं जाता रोजाना धमकाया रै
कई बाई सोचूँ लोट खाट मैं आज हुआ किसा विकास यो
दिमाग भन्नाया सै मेरा सोचै कदे होरया हो विनास यो
ठेकेदारी का बोलबाला सै मदत म्हारा उपहास यो
विकास हुआ या विनास हिल गया मेरा विश्वास यो
रणबीर बरोने वाला ना इनकी बहका मैं आया रै
विकास या विनास
लिंग अनुपात अनीमिया नै म्हारे कालस लगाया रै
दो छोर म्हारे हरयाने के नहीं मेरी समझ मैं आवें
एक कान्ही सबते बाढ़ कार हरियानावासी बनावें
महिला भ्रूण हत्या करके सबते तेज कार चलावें
गर्भ वती महिला खून कमी जापे के माह मर जयावें
सोच सोच इन बातां नै दिमाग मेरा चकराया रै
आर्थिक विकास घना सामाजिक विकास थोडा बताते
विकास मॉडल मै मोजूद कमी नहीं खोल कै दिखाते
सचाई नै आंकड़ो बीच कई बुद्धिजीवी बी छिपाते
म्हारे नेता बी सचाई तै बहोत घना आज घबराते
पांचो घी मैं जिसकी सें हरियाणा नंबर वन भाया रै
आर्थिक विकास की माया देखो पिसा छागया चारो और
नंबर वन हरियाणा का मचाया चारो कान्ही शोर
धरती बिकती जा म्हारी औरो के बीके डांगर ढोर
शाह नै मात देवें ये समाज सेवी बनके ठग चोर
चोर दवारा साह खुले के मैं जाता रोजाना धमकाया रै
कई बाई सोचूँ लोट खाट मैं आज हुआ किसा विकास यो
दिमाग भन्नाया सै मेरा सोचै कदे होरया हो विनास यो
ठेकेदारी का बोलबाला सै मदत म्हारा उपहास यो
विकास हुआ या विनास हिल गया मेरा विश्वास यो
रणबीर बरोने वाला ना इनकी बहका मैं आया रै
Sunday, December 13, 2009
सुन अमेरिका
क्यों झेलता मंदी की मार दुनिया का सरदार अमेरिका
बैंक धरासायी हो रहे चुप क्यों समझदार अमेरिका
वंचितों के खून से बना हुआ तेरा चौबारा अमेरिका
फेल क्यों मॉडल विकास का हो गया तुम्हारा अमेरिका
gaflat में dalney के बहुत hathiyar tumharey pas
तुम्हारी chalbaji का हमें हो रहा आज ahshash
insaniyat angdayee फ़िर से ले रही देख अमेरिका
kafan में तुम्हारी keel का काम दे रही देख अमेरिका
Tuesday, November 10, 2009
आज का जमाना
नासमझी मैं उतरे बेबे म्हारी सबकी खाल हे
गफलत पडे छोड़नी करा हकां की रुखाल हे
अपना गम स्कूल अपना करें इसकी संभाल हे
म्हारे स्कूल कोलेजां पै टपकै बदेशिया की राल हे
जनता एका करकै बनैगी या मजबूत सी ढाल हे
जात पात और धरम पर करा लड़न की टाल हे
वैजानिक नजर के सहारे रचै नयी मिसाल हे
मानवता सिखर पर पहोंचे सजा पावें चंडाल हे
कार्य कारण की होवे फेर सही सही पड़ताल हे
क्या क्यों और कैसे बरगे उठें दिलों मैं सवाल हे
धार्मिक कटरता की हार होजयागी फिलहाल हे
संघर्ष करना बहोत जरूरी ठा हाथों में मशाल हे
मानवता की करें सेवा नहीं रहे कोई मलाल हे
एक दूजे का प्राणी राखै हमेश्या पूरा ख्याल हे
आए अकेले अकेले जाना बाकि सब जंजाल हे
प्रकर्ति गेल्यें करें दोस्ती पर्यावरण हो बहाल हे
पानी की कमी नही रह्वै नहीं होंगे सुने ताल हे
भूखा कोए नहीं सोवैगा नहीं पडेंगे अकाल हे
समतावादी विचार सबके नहीं मचै बबाल हे
एक बात
न किस्मत पर भरोसा कर सितारे टूट जाते हैं
साहिल पे आ के ना समझो की पार आ गए हैं
जरा सी लहर आई तो किनारे छूट जाते हैं
Monday, November 9, 2009
मानव बोम्ब
मानव बम्ब क्यों बनी ?
मुस्लिम थी इसलिए
अमृतधारी थी इसलिए
किसी के बहकावे में आ गयी
ये नौजवान युवक युवतियां यहाँ तक
क्यों चले आते हैं ?
क्या सोचा है कभी ?
कहाँ फुर्सत है हमें दो पल की
की सोचें जरा जब क्या होगा
जब हमारी अपनी बेटी
डेरा परमुख की हत्या कर देगी
Saturday, October 10, 2009
असमंजस
पता नहीं क्यों तकलीफ हो रही है उनको
दस हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर्ज
दिया हमको तो किसी को क्यों हो रहा हर्ज
पानी का वायदा करके पानी के लिए तरसाया
बिजली चौबीस घंटे मिले हमको था बहकाया
सेज से सुरग बनने का किया हमसे वायदा
असल में अर्थी हमारी निकालने का इरादा
चढा दिया नए कर्जों का हम पर फ़िर से भार
कर्जे ले लेकर हमारे पुराने कर्जे रहे उतार
हरयाणा की है नम्बर वन हमारी ये सरकार
बहुत कुछ दिया इसने साथ दी महंगाई की मार
जायें तो जायें कहाँ ख़तम हुआ है विस्वास मेरा
हजंका बसपा इनेलो भाजपा एक जैसा सबका चेहरा
Friday, October 2, 2009
मानवता
मानवता पता नहीं कहाँ खो गयी
धर्म ने हम सबका जनाजा निकाला
धर्म के ठेकेदारों का पिट गया दिवाला
दोषी खुले आम यहाँ घूम रहे हैं
जाम पर जाम टकराते झूम रहे हैं
तुमने की है जो तबाही सोच लो
देगा ये इतिहास गवाही सोच लो
पेट में ही लड़की को मार गिराया
मर्दपन आज दुनिया को दिखाया
अमीरों की चाल में हम आ गए
अपना घर ही लूटकर हम खा गए
पक्षी उड़ते आज भी नीले आकाश में
रहते मिलजुल के आपस के विश्वास में
पंछी से भी गिर गया इंसान यहाँ
बचा हम सबका आज इमान कहाँ
नादाँ तेरी उमर जब ढल जायेगी
सुन मेरी याद तुझे फ़िर सताएगी
Sunday, September 27, 2009
आज का जमाना
मानवता पता नहीं कहाँ खो गयी
धर्म ने हम सबका जनाजा निकाला
धर्म के ठेकेदारों का पिट गया दिवाला
दोषी खुले आम यहाँ घूम रहे हैं
जाम पर जाम टकराते झूम रहे हैं
तुमने की है जो तबाही सोच लो
देगा ये इतिहास गवाही सोच लो
पेट में ही लड़की को मार गिराया
मर्दपन आज दुनिया को दिखाया
अमीरों की चल में हम आ गए
अपना घर ही लूटकर हम खा गए
पक्षी उड़ते आज भी नीले आकाश में
रहते मिलजुल के आपस के विश्वास में
पंछी से भी गिर गया इंसान यहाँ
बचा हम सबका आज इमान कहाँ
नादाँ तेरी उमर जब ढल जायेगी
सुन मेरी याद तुझे फ़िर सताएगी
किसान जाग जा
अब तो होश में आजा ऐ इन्सान जरा
कर संघर्ष आज सब भेद दे भुला
मेहनतकश मजदूर से हाथ मिला
मंदी के दौर ने सब पोल खोली
अमीर खड़ा दरबार में पसारे झोली
अमीरों की थी अमीरों की है सरकार
इस सच से मत करना अब इंकार
Friday, September 25, 2009
सच के रास्ते
त्याग की आग में जलना सीख लो
आगे बढते रहो इस आंधी तूफान में
और अंगारों पे उतरना सीख लो ||
भगवान की दया से यहाँ पहुंच गए
गिर गए ख़ुद ही संभलना सीख लो ||
रणबीर अनुभव चाहिए परकाश का
आज अंधेरे से गुजरना सीख लो ||
Wednesday, September 23, 2009
पति परदेश जावै
पतिदेव स्वीडन जावै राजबाला फूली नहीं समाई ||
कई जोड़ी जूती तुडवाकै उसने लेदे कै नोकरी थायाई ||
कई सहेली नयों बूझें इसका पता हमने बताइए
उडे जाएं पाछे बेबे हम गरीबां नै भूल ना जाइये
दो चायर म्हारे बरगयां नै तूं बेबे जरुर बुलाइए
दुसरे देसां मैं जावेगी उडे तूं अपनी साख जमाइए
कयुकर रहना परदेसां का हमने खुबै थी समझाई ||
Saturday, September 19, 2009
Sunday, September 13, 2009
पुत्र लालसा
लिकड़ती बड़ती सास कहै छोरी हो तै करा सफाई
सास सुसरा बैठ साँझ नैं नयों आपस मैं बतलावें
बहु म्हारी जाँच करवाले किस ढाला उने समझावें
पहली छोरी कदे दूजी होज्या सोच सोच घबरावें
सास कण मैं कहती घरके एक छोरा तो चाहवै
म्हारी बहु के दिन चढ़रे पडोसन तै बतलाई
पडोसन कहवे छोरी पलना आसान कडे सै
या पैदा होवे उसे दिन तै करनी रुखाल पडे सै
बिना दहेज़ ना ब्याही जा गोतां की बात अडे सै
बिना भाई की बहन हो तै सुनके नाग लड़े सै
सारे करवावें जाँच सरतो इतनी क्यों घबराई
समाज नै तय किया छोरी तै पहलम छोरा हो
छोरा हो तो वंश चले योहे थाम्बै घर का डोरा हो
छोरी सै धन पराया ना चले माँ बाप का जोरा हो
पुत्र लालसा इतनी गहरी ना छोडै छोरी का भोरा हो
एकली माँ का दोष कडे पुरे समाज नै मारी चाही
इसका एहसास नहीं हर घर हुआ हत्यारा सै
छोरी लगती बोझ घनी छोरा बहोतै प्यारा सै
महिला महिला की बैरी ना भेद खोल्या सारा सै
यो समाज दोषी इसका चले जो छोरी पी आरा सै
रणबीर बरोने आले नै दिल तै करी कविताई
कुछ समझ नहीं आता
बनी बात बिगड़ क्यों जाती , समाज जमा क्यों डूब लिया |
पिस्सा चाहिए उसने चाहे करने उल्टे काम पड़जयां
करोड़ों अरबों के घोटाले सुन म्हारी साँस लिकड़जयां
भ्रस्टाचार समाज में छाया , उप्पर तै चाल नीचे आया
सिस्टम फेल हुआ बताया ,मंदी में लिकड़ कूब लिया |
च्यार आन्ने की चोरी उप्पर चारों कान्ही हाहाकार मचै
अरबों खरबों के घोटाले म्हारा सरकारी साहूकार रचै
पूंजीवाद का असली चेहरा ,क्यों नहीं आज दिखाई देरया
हथियार दम पै दिया घेरा ,काला धन कमा खूब लिया |
अमीर और अमीर होगे गरीबों की श्यामत आयी है
हम आह भरें बदनाम हों उनके कत्ल की ना सुनाई है
नई नई ढाल की बीमारी, महंगे इलाज खाल उतारी
शिक्षा महंगी होंती जारी ,रूठ हमते महबूब लिया |
हमारी सब्सिडी ख़त्म करी अमीरों ताहीं दरवाजे खोले
अमीर डुबोया मंदी नै तो सारे ही उसकी कांहीं बोले
अमीर गरीब बीच में खाई , दिन दुनी आज बढती पाई
इब बची नहीं म्हारे समाई , सिर म्हारा जमा घूम लिया |
फिलहाल जरुरत है
झलकारीबाई गंभीर की फिलहाल जरुरत है
कुरुक्षेत्र के मैदान में कहते सच की जीत हुई थी
द्रोपदी चीरहरण हुआ कलंकित पूरी रीत हुई थी
एकलव्य वाले तीर की फिलहाल जरुरत है
बुराई फैलती जा रही थी इस भारत के समाज में
ज्योतिबा फुल्ले रमाबाई उभरे थे नए अंदाज में
दोहों वाले उस कबीर की फिलहाल जरुरत है
अंडवंड पाखंड खिलाफ जमके लड़ी लडाई देखो
सत्य की खोज में तय्यार करे बहन भाई देखो
उस दयानद फ़कीर की फिलहाल जरुरत है
ठारा सौ सतावन में लाखों फंसी फंदा चूम गए
राजगुरु सुखदेव भी आजादी की खातिर झूम गए
उस भगतसिंह रंधीर की फिलहाल जरुरत है
जलियाँ वाले बाग़ का बदला यो लेना चाहया था
जालिम डायर लन्दन में मार गोली गिराया था
उस उधम सिंह बलबीर की फिलहाल जरुरत है
जवाहर रविन्द्र गाँधी देश आजाद कराना चाहया
अनगिनत लोग थे जिन्होंने था अपना खून बहाया
अहिंसा पुजारी गाँधी पीर की फिलहाल जरुरत है
मजदूर किसान की खातिर जिन्दगी ही नयोछार देई
मार्क्स नै दुनिया के बारे में ऐक नई सी विचार देई
मार्क्सवादी शूरवीर की फिलहाल जरुरत है
महिला दलित का दोस्त आज चाहिए समाज इसा
पूंजीवादी राज अन्यायी ख़त्म हो मंदी का राज इसा
तोड़ने की जुल्मी जंजीर की फिलहाल जरुरत है
FAKE v/s SPURIOUS DRUGS IN INDIA
FAKE v/s SPURIOUS DRUGS IN INDIA
In India, Fake is a commonly used word that means "Not Genuine." This word is not specifically mentioned in our laws governing medicines. "Spurious", as defined in the Drugs and Cosmetics Act (Section 17B) is not limited to fake products but also includes other cases such as products that use unauthorized names, manufacturers etc. Implication: A strip of 10 pure and genuine paracetamol tablets will be deemed to be "spurious" if it uses the name Crocin without permission from trade mark holder GSK. In many raids where the aggrieved informer is a manufacturer of the original product, primarily and at least initially the issue relates to unauthorized use of brand names.Thus manufacturers use the legal definition to their commercial benefit even when public health may or may not be at stake. How many of the "spurious" products were found to be fake as well? Is the definition exaggerating the figures of really fake drugs?Should the definition of Spurious drugs be amended?
WHO WILL SPEAK ON THIS
Large drug industry associations (IDMA, OPPI) provide estimated percentage figures of fake drugs. Methodology and conclusions are neither listed nor supported with evidence. Concrete examples are often not given .Why should the drug companies shy away from giving specific details? Recently duplicate copies of a popular and very widely used cough remedy flooded certain markets in eastern India. The company found that its product's sale was either stable or going up all over the country except certain markets in eastern India. The Company took action with local police help but did not involve drug controller. The reason? Media coverage of the existence of duplicate products would have led to boycott of the brand by patients and doctors all over India!
URGENT NEED OF CREDIBLE , RELIABLE DATA
Currently fake drugs are discovered through random sample collections by state drug inspectors. On receipt of complaints by aggrieved manufacturers. Rarely by patients. These are inadequate measures to determine the correct prevalence of the problem.. National level scientifically structured large sample collection and testing is urgently required. CDSCO has probably already started the process.
हिसाब
हिसाब
जो कभी रखा नहीं गया
हिसाब
एक दिन सामने आएगा
जो बीच में ही चले गए
और अपनी नहीं कह सके
आएंगे और
अपनी पूरी कहेंगे
जो लुप्त हो गया अधुरा नक्शा
फ़िर खोजा जाएगा
मनमोहन
Saturday, September 12, 2009
कुछ बातें
२ इसके साथ ही अधिक मह्तवपूरन तथ्य यह है कि शताब्दियों पहले और बाद तक भारतीय मानवता के महासागर को लकड़ी के हल ,तकली ,हथकरघा और कुम्हार के चाक से ज्यादा विकसित प्रविधि का पता तक नही था |
३ साथ ही यह सवाल भी पैदा होता है कि कैसे एलोरा और करला कि गुफाएँ और पहाड़ को काटकर बनाई गई बमियान कि बुध प्रतिमा जैसे अजूबे सर्जित किए ?
४ हथोडे और छेनी के अलावा किस तरह कि पुलियों ,लिवरों और अन्य परकार कि मशीनी जुगत भिडाई गई कि एलोरा में चट्टानों को काट कर कैलाश मन्दिर बनाया गया ? क्या वास्तव में उन्होंने ऐसे औजारों का उपयोग किया था ?
५ उस समय ऐसा कैसा और कितना रसायन शास्त्र विकसित हो गया था कि अजंता के भिति चित्र इतनी दिनों तक धुंधले नहीं पड़े ?
इस कम के लिए बहुत बड़ी समर्पित भावना से वैज्ञानिक शोध कार्य कि आवश्यकता है |
६ क्या पाश्चात्य सभ्यता कि बिमारियों का इलाज पूरब कि बुधिमत्ता के रूप में देखा जाना सही है ?
७ अंध निंदा का विकल्प अंध शरधा नहीं हो सकता |
बाजार का बोलबाला
खता बंद कर दिया इंसानी वयवहार का
पैसे के पीछे आदमी ये खूब दौड़ रहा
मां बाप पत्नी को अंधकार में छोड़ रहा
चरमरा गया ढांचा ये हमारे परिवार का ||
दिखावा ही दिखावा बचा हमारे रिश्तों में
सचाई ख़त्म हो रही है आज किस्तों में
चारों तरफ़ दबदबा है लालची संसार का ||
परिवारों की सच खुलके सामने आ रही
गले आम की सडांध ये बढती जा रही
जुल्मी दायरा बढ़ रहा पैसे के आधार का ||
अंधी गली में हम बढ़ते ही जा रहे है
छोर आज इसका नहीं पकड़ पा रहे हैं
कलम डरता है रणबीर से लिखर का ||
हरियाणा नम्बर वन कोण्या
चेहरे ऊपर मुस्कान बिना ,हरियाणा नम्बर वन कोण्या ||
हरया भरया हरियाणा , जित दूध दही का खाना
खून की कमी गरभवती मैं दस परतिशत बढ़ जाना
हम सबके उपकार बिना ,बसते हुए घरबार बिना
लिंग अनुपात सुधार बिना,हरियाणा नम्बर वन कोण्या ||
हरित क्रांति के गुन गाते , नुकसान ना कदे बतावैं
पाणी मैं जहर घोल दिया , ये कीटनाशक कहर मचावैं
बीमारियाँ के इलाज बिना ,हम गरीबां के आगाज बिना
विकाश के सही अंदाज बिना , हरियाणा नम्बर वन कोण्या ||
कांग्रेसी घास तै हरियाणा ,बहोत घाना दुःख पाया
खाज बीमारी हुई गात मैं घणा कसुता संकट छाया
इसकी पूरी रोकथाम बिना , पाणी के इंतजाम बिना
अमीरां पै कसे लगाम बिना हरियाणा नम्बर वन कोण्या ||
अमीर गरीब के बीच की या बढती जावै खाई दखे
गरीब की मेहनत बिना छाज्या घनी रुसवाई दखे
महिला के सम्मान बिना ,पढे लिखे नौजवान बिना
म्हारे पूरे हुए अरमान बिना ,हरियाणा नम्बर वन कोण्या ||
Sunday, September 6, 2009
मियां बीबी
के के सपने संजोये थे जिब हुई संतान म्हारी देखो
बचपन उनका सही बीते करे दिन रात काले हमनै
किसे की परवाह करी ना बहा पसीना पाले हमनै
पढ़न खंदाये लाड लड़ाए तनखा खर्ची सारी देखो
कदे रूसै कदे कुबध करैं यो छोरा सबतें छोटा मेरा
बड्डी छोरी हुशियार घनी शादी का दुःख मोटा मेरा
बीच की छोरी का के जिकरा तिनुआ मै न्यारी देखो
एक अम्बाला दूजी सूरत मैं परिवार अपने चला रही
ये मोबाइल साँझ सबेरी हमते रोजाना ही मिला रही
बात करते दुनिया भर की उमर बीती जारी देखो
कई बै बहोत एकेले मियां बीबी हम हो जाते हैं
झगडा करलयां छोटी बात पै लड़भीड़ सो जाते हैं
रणबीर सिंह आप बीती सै कलम मेरी पुकारी देखो
लालच
रोज दलाली करता घुमै हो मानवता तै दूर रहया
एक दूजे का गल काट कै आगै बढ़ना चाहवै देखो
भरी घिरणा भित्रले मै उप्पर तै प्यार दिखावै देखो
काला धन छिपावै देखो पापी हो घणा मशहूर रहया
झूठ बोल्कै काम काढ लें साच पढ़न बिठाई आज
पेट मैं छोरी पै चलै कटारी करते नहीं ये समाई आज
खड्या पशु की ढाला शरीर औरत का घूर रहया
पुत्र लालसा बढती जावै घर घर की बात बताऊँ
पुत्री की चढै बलि रोजाना द्रोपदी चिर हरण दिखाऊ
के के जुलम गिनाऊ लालच पुरा ताना पूर रहया
काला धन कलि संस्कृति इसका डंका बाज रहया
बेईमान स्वार्थी के सिर पै टिक जित का ताज रहया
बिगड़ सुर साज रहया रणबीर ना कर मंजूर रहया
Friday, September 4, 2009
मेरा बचपन
पीछे मुड़कर मुस्किल है अपने
बचपन को यद् कर पाना
इससे भी जयादा मुस्किल है
ईमानदारी से कलम बधकर पाना
जब भी कोशिश करता हूँ तो
बहुत से सवाल बहुत सी बातें
दिमाग को घेर लेती हैं
क्या कोई इन्सान अपने बचपन की
उन सभी जिज्ञासा वस की गई हरकतों
उन सभी बेवकूफियों
वर्जित माने जाने वाली
गतिविधियाँ या किर्याएं
शामिल करके लिखने का
सहस कभी जुटा पायेगा ?
ईमानदारी से कहता हूँ
मेरे में वह साहस नहीं है आज
मगर जत्तनकर रहा हूँ मैं
की वह साहस जुटा सकूँ मैं
और अपने बचपन की को कभी
दुनिया के सामने ला सकूँ?
क्या यह मेरी कमजोरी है या
समाज की संकिरंता या निरंकुंश्ता
कि मैं चाह कर भी आज
साहस नहीं कर प् रहा हूँ
आप मेरी मदद करें समाज को
इतना संवेदनशील बनाने की
कि मैं अपनी बात कह सकूँ
२३/१/०९
विवेक
कुछ हो ही नही सकता
क्यों ?
यह कुदरत की सबसे बड़ी
नियामत है
पशु के पास विवेक की कमी
बताते हैं
मनुष्य की पूंजी इसे ही
जताते हैं
बहोतबार हम अपना विवेक
खो जाते हैं
इसी कारण कई बार
हम पशु कहाते हैं
Monday, August 31, 2009
हमला उनका
जख्मे दिल दिए हैं हमको बार बार ये
नए अंदाज और नए तरीके तुम्हारे
पहले तो धीमी थी तेज हुई रफ्तार ये
सत्यम बचाओ उसके काले कामों पर
जल्दी परदा डालो तुम कहती सरकार ये
किसान की सब्सिडी पे डाका डाल रहे हैं
आतम हत्या कर रहा उजड़ी बहार ये
रणबीर अ़ब और क्या क्या गिनुं मैं
पता है सारा उनको बनते होशियार ये
मंदी का दौर
जेब ढीली करदी इसने रुलाया हमको
बहुत सी जगह इसने करतब दिखाए
आ ई टी के कई योधा इसने मार गिराए
सरकारी कंट्रोल बता न था जिनको
उसी से भीख मंगनी पड़ रही उनको
पड़ सकता दिल पेय बुरा असर बताया
चिकत्सकों ने हाल मे ऐसा भी फ़रमाया
दिल के दौरे से आज कैसे बचा जाएगा
पूंजीवादी मंदी का दौर कहाँ पहोंचायेगा
सोचो यारो
हमारे सिस्टम में क्यों है रोना सोचो तों यारो
जो कुछ कमाया छीन लिया चालाकी से
किसी ने समझाया खेल सब बेबाकी से
कहते किस्मत मे है रोना सोचो तों यारो
किस्मत का खेल मान हमने इसको ढोया
अपनी ही खातिर ख़ुद बीज कीकर का बोया
किस्मत की मर क्यों ढोना सोचो तों यारो
दिलो दिमाग पर मेरे तों यही छाया है
आज मेरे नसीब ने मुझको बनाया है
औरों के खेलने का खिलौना सोचो तों यारो
बात समझ मे आई किस्मत का खेल नहीं
बिना इन्सान कोई चला सकता रेल नहीं
कुर्सी चाहती हमे भलोना सोचो तों यारो
Sunday, August 23, 2009
यह सिस्टम
ऊपर से बहुत मुलायम भीतर से पूरा सखत मिला
बेईमानी चोरी सीना जोरी इसमे हैं दस्तूर छिपे हुए
मेहनत की लूट पे टिका नियम कुछ और लिखे हुए
ताक़तवर की पूजा होती सच ko देते बिल्कुल हिला
ईमानदारी और नैतिकता का मुखोटा लगाया इसने
ख़तम किया चालाकी से ये मुखोटा उठाया जिसने
हमने ईमानदारी बरती तो हमीं से हो गया गिला
अमीर का ताबेदार गरीब के लिए है पक्का थानेदार
जिंदगी नरक बनाता भाग्य को ठहराता जिमेदार
कहता दारू मत पीयों रोज ठेके खोल कर रहा बुला
सिरकाट कम्पीटीशन छाया है पूँजी का खे ये सारा
इंसानियत चिडियाघर मे घर का तनाव भरा नजारा
रणबीर सिंह बदलें सिस्टम सघर्ष करें मतभेद भुला
Tuesday, August 18, 2009
Fast development of haryana
FAST DEVOLOPMENT OF HARYANA?
Those who have watched Haryana’s fast march towards industrialization are full of admiration of Haryana. It has about 1346 large medium industries,and 80,0000 small scale industries. It has about 1000/- projects with foreign technical/financial collaboration. The new industrial policy is being implemented with all earnestness since June 2005. The optimism that this small state with not many natural recourses and away from the sea posts is impressing vast sections very fast. Haryana has followed the national resolve “to support private efforts by further liberalizing and focusing investments in infrastructures and promotion of new technologies for sustained growth “The State Government is equally determined to build strong agriculture and social sectors in order to sustain the high economic growth of over 11 percent. It is keen to spread the benefits of this fast industrial growth to all segments of society. In the next 10 year an investment of Rs. 2 lakh crore is expected which would generate employment avenues for ten lakh youth. . It is observed that to beat the agrarian crises that is casting dark shadows, indusrialization and development of related service sector is the only answer. Really it is so? Big question. On the other side the state is faced with the devil of recession. The industrialists in Gurgaon,
With in this paradigm how the speed of 11 percent industrial growth will be sustained? Moreover, the Haryana is agriculture based Almost 70% people of Haryana are dependant over agriculture. How the industrialization and urbanisation will be able to absorb the displacement of people from agriculture?. In