Sunday, September 6, 2009

मियां बीबी

मियां बीबी रहगे एकली तीनों लेगे उडारी देखो
के के सपने संजोये थे जिब हुई संतान म्हारी देखो
बचपन उनका सही बीते करे दिन रात काले हमनै
किसे की परवाह करी ना बहा पसीना पाले हमनै
पढ़न खंदाये लाड लड़ाए तनखा खर्ची सारी देखो
कदे रूसै कदे कुबध करैं यो छोरा सबतें छोटा मेरा
बड्डी छोरी हुशियार घनी शादी का दुःख मोटा मेरा
बीच की छोरी का के जिकरा तिनुआ मै न्यारी देखो
एक अम्बाला दूजी सूरत मैं परिवार अपने चला रही
ये मोबाइल साँझ सबेरी हमते रोजाना ही मिला रही
बात करते दुनिया भर की उमर बीती जारी देखो
कई बै बहोत एकेले मियां बीबी हम हो जाते हैं
झगडा करलयां छोटी बात पै लड़भीड़ सो जाते हैं
रणबीर सिंह आप बीती सै कलम मेरी पुकारी देखो

1 comment:

Dr Surender Dalal said...

उलझ पुलझ हुई दुनियां, उलझी अपनी यारी देखो।
उलझी नजर,उलजी कलम,उलझी या कटारी देखो॥
जिब भी फंसा-जडॆ भी फंसा, कलम घिसाई अक ना,
कडॆ ए-किसा भी स्पेस मिला, पादुका अडाई अक ना,
टोह कर देखो मुद्दा कोए इसा, लेखनी आपनॆ ठाई अक ना,
गाम का गोरा भांड्कॆ गेर दिया,स्यांही या न्यारी देखो॥

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive