मियां बीबी रहगे एकली तीनों लेगे उडारी देखो
के के सपने संजोये थे जिब हुई संतान म्हारी देखो
बचपन उनका सही बीते करे दिन रात काले हमनै
किसे की परवाह करी ना बहा पसीना पाले हमनै
पढ़न खंदाये लाड लड़ाए तनखा खर्ची सारी देखो
कदे रूसै कदे कुबध करैं यो छोरा सबतें छोटा मेरा
बड्डी छोरी हुशियार घनी शादी का दुःख मोटा मेरा
बीच की छोरी का के जिकरा तिनुआ मै न्यारी देखो
एक अम्बाला दूजी सूरत मैं परिवार अपने चला रही
ये मोबाइल साँझ सबेरी हमते रोजाना ही मिला रही
बात करते दुनिया भर की उमर बीती जारी देखो
कई बै बहोत एकेले मियां बीबी हम हो जाते हैं
झगडा करलयां छोटी बात पै लड़भीड़ सो जाते हैं
रणबीर सिंह आप बीती सै कलम मेरी पुकारी देखो
1 comment:
उलझ पुलझ हुई दुनियां, उलझी अपनी यारी देखो।
उलझी नजर,उलजी कलम,उलझी या कटारी देखो॥
जिब भी फंसा-जडॆ भी फंसा, कलम घिसाई अक ना,
कडॆ ए-किसा भी स्पेस मिला, पादुका अडाई अक ना,
टोह कर देखो मुद्दा कोए इसा, लेखनी आपनॆ ठाई अक ना,
गाम का गोरा भांड्कॆ गेर दिया,स्यांही या न्यारी देखो॥
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