Sunday, September 27, 2009

आज का जमाना

यहाँ सबकी बुधी उलटी हो गयी
मानवता पता नहीं कहाँ खो गयी
धर्म ने हम सबका जनाजा निकाला
धर्म के ठेकेदारों का पिट गया दिवाला
दोषी खुले आम यहाँ घूम रहे हैं
जाम पर जाम टकराते झूम रहे हैं
तुमने की है जो तबाही सोच लो
देगा ये इतिहास गवाही सोच लो
पेट में ही लड़की को मार गिराया
मर्दपन आज दुनिया को दिखाया
अमीरों की चल में हम गए
अपना घर ही लूटकर हम खा गए
पक्षी उड़ते आज भी नीले आकाश में
रहते मिलजुल के आपस के विश्वास में
पंछी से भी गिर गया इंसान यहाँ
बचा हम सबका आज इमान कहाँ
नादाँ तेरी उमर जब ढल जायेगी
सुन मेरी याद तुझे फ़िर सताएगी




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