यहाँ सबकी बुधी उलटी हो गयी
मानवता पता नहीं कहाँ खो गयी
धर्म ने हम सबका जनाजा निकाला
धर्म के ठेकेदारों का पिट गया दिवाला
दोषी खुले आम यहाँ घूम रहे हैं
जाम पर जाम टकराते झूम रहे हैं
तुमने की है जो तबाही सोच लो
देगा ये इतिहास गवाही सोच लो
पेट में ही लड़की को मार गिराया
मर्दपन आज दुनिया को दिखाया
अमीरों की चाल में हम आ गए
अपना घर ही लूटकर हम खा गए
पक्षी उड़ते आज भी नीले आकाश में
रहते मिलजुल के आपस के विश्वास में
पंछी से भी गिर गया इंसान यहाँ
बचा हम सबका आज इमान कहाँ
नादाँ तेरी उमर जब ढल जायेगी
सुन मेरी याद तुझे फ़िर सताएगी
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