Saturday, September 12, 2009

कुछ बातें

१. आज दुनिया में ऐतिहासिक रूपांतरण हो चुके हैं | इन रूपान्तरणों का प्रभाव हमारी अर्थ व्यवस्था ,राजनीती और जन चेतना पर पड़ रहा है | इस नजर से हमारे चिंतकों का पुराना द्रिस्तिकोन उपयोगी होते हुए भी अपर्याप्त है |
२ इसके साथ ही अधिक मह्तवपूरन तथ्य यह है कि शताब्दियों पहले और बाद तक भारतीय मानवता के महासागर को लकड़ी के हल ,तकली ,हथकरघा और कुम्हार के चाक से ज्यादा विकसित प्रविधि का पता तक नही था |
३ साथ ही यह सवाल भी पैदा होता है कि कैसे एलोरा और करला कि गुफाएँ और पहाड़ को काटकर बनाई गई बमियान कि बुध प्रतिमा जैसे अजूबे सर्जित किए ?
४ हथोडे और छेनी के अलावा किस तरह कि पुलियों ,लिवरों और अन्य परकार कि मशीनी जुगत भिडाई गई कि एलोरा में चट्टानों को काट कर कैलाश मन्दिर बनाया गया ? क्या वास्तव में उन्होंने ऐसे औजारों का उपयोग किया था ?
५ उस समय ऐसा कैसा और कितना रसायन शास्त्र विकसित हो गया था कि अजंता के भिति चित्र इतनी दिनों तक धुंधले नहीं पड़े ?
इस कम के लिए बहुत बड़ी समर्पित भावना से वैज्ञानिक शोध कार्य कि आवश्यकता है |
६ क्या पाश्चात्य सभ्यता कि बिमारियों का इलाज पूरब कि बुधिमत्ता के रूप में देखा जाना सही है ?
७ अंध निंदा का विकल्प अंध शरधा नहीं हो सकता |

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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