Sunday, September 13, 2009

फिलहाल जरुरत है

भारत को सही तस्वीर की फिलहाल जरुरत है
झलकारीबाई गंभीर की फिलहाल जरुरत है
कुरुक्षेत्र के मैदान में कहते सच की जीत हुई थी
द्रोपदी चीरहरण हुआ कलंकित पूरी रीत हुई थी
एकलव्य वाले तीर की फिलहाल जरुरत है
बुराई फैलती जा रही थी इस भारत के समाज में
ज्योतिबा फुल्ले रमाबाई उभरे थे नए अंदाज में
दोहों वाले उस कबीर की फिलहाल जरुरत है
अंडवंड पाखंड खिलाफ जमके लड़ी लडाई देखो
सत्य की खोज में तय्यार करे बहन भाई देखो
उस दयानद फ़कीर की फिलहाल जरुरत है
ठारा सौ सतावन में लाखों फंसी फंदा चूम गए
राजगुरु सुखदेव भी आजादी की खातिर झूम गए
उस भगतसिंह रंधीर की फिलहाल जरुरत है
जलियाँ वाले बाग़ का बदला यो लेना चाहया था
जालिम डायर लन्दन में मार गोली गिराया था
उस उधम सिंह बलबीर की फिलहाल जरुरत है
जवाहर रविन्द्र गाँधी देश आजाद कराना चाहया
अनगिनत लोग थे जिन्होंने था अपना खून बहाया
अहिंसा पुजारी गाँधी पीर की फिलहाल जरुरत है
मजदूर किसान की खातिर जिन्दगी ही नयोछार देई
मार्क्स नै दुनिया के बारे में नई सी विचार देई
मार्क्सवादी शूरवीर की फिलहाल जरुरत है
महिला दलित का दोस्त आज चाहिए समाज इसा
पूंजीवादी राज अन्यायी ख़त्म हो मंदी का राज इसा
तोड़ने की जुल्मी जंजीर की फिलहाल जरुरत है

1 comment:

जोगी said...

"राजगुरु सुखदेव भी आजादी की खातिर झूम गए
उस भगतसिंह रंधीर की फिलहाल जरुरत है"
saari kavitaon ki tarah yeh bhi ultimate hai...

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