Sunday, September 27, 2009

किसान जाग जा

नींद से जाग जा अन्नदाता किसान जरा
अब तो होश में आजा इन्सान जरा
कर संघर्ष आज सब भेद दे भुला
मेहनतकश मजदूर से हाथ मिला
मंदी के दौर ने सब पोल खोली
अमीर खड़ा दरबार में पसारे झोली
अमीरों की थी अमीरों की है सरकार
इस सच से मत करना अब इंकार

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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