तुमने किया हरबार नीतियों से वार ये
जख्मे दिल दिए हैं हमको बार बार ये
नए अंदाज और नए तरीके तुम्हारे
पहले तो धीमी थी तेज हुई रफ्तार ये
सत्यम बचाओ उसके काले कामों पर
जल्दी परदा डालो तुम कहती सरकार ये
किसान की सब्सिडी पे डाका डाल रहे हैं
आतम हत्या कर रहा उजड़ी बहार ये
रणबीर अ़ब और क्या क्या गिनुं मैं
पता है सारा उनको बनते होशियार ये
1 comment:
Dr. Sahib good evening, aapka glog dekha, aapne glog bana kar ek achha kam kiya hai isi bahane aapki ghazlen, kavitayen our aapki ragneeyan padhne ko milengi.
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