Sunday, August 23, 2009

यह सिस्टम

बहुत बेरहम है सिस्टम गहरी नींव पे खड़ा किला
ऊपर से बहुत मुलायम भीतर से पूरा सखत मिला
बेईमानी चोरी सीना जोरी इसमे हैं दस्तूर छिपे हुए
मेहनत की लूट पे टिका नियम कुछ और लिखे हुए
ताक़तवर की पूजा होती सच ko देते बिल्कुल हिला
ईमानदारी और नैतिकता का मुखोटा लगाया इसने
ख़तम किया चालाकी से ये मुखोटा उठाया जिसने
हमने ईमानदारी बरती तो हमीं से हो गया गिला
अमीर का ताबेदार गरीब के लिए है पक्का थानेदार
जिंदगी नरक बनाता भाग्य को ठहराता जिमेदार
कहता दारू मत पीयों रोज ठेके खोल कर रहा बुला
सिरकाट कम्पीटीशन छाया है पूँजी का खे ये सारा
इंसानियत चिडियाघर मे घर का तनाव भरा नजारा
रणबीर सिंह बदलें सिस्टम सघर्ष करें मतभेद भुला

5 comments:

12345 said...

uncle its gr888888888888!!!!!!

Unknown said...

Very well said Uncle.

Unknown said...

sir it's true

Unknown said...

well said sir...

Sandeep said...

thats great work sir

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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