बलबीर सिंह राठी -गजल
हमने पूरी मेहनत करके गुलशन खूब संवारा था
छल से फल तुम को मिलने थे छलना खेल तुम्हारा था
जब से तुम ने बाज़ी जीती बौने होते जाते हो
उसका कद बढ़ता जाता है जो ये बाज़ी हारा था ||
जिसको सारी उमर मरोड़ा होना था बेडौल उसे
फिर भी क्यों कहते फिरते हो वो क़िस्मत का मारा था ||
तूफानों का शौक रहा क्यों जाने सारी उमर हमें
तब भी तूफानों से उलझे जब कुछ दूर किनारा था ||
तुम जो जहर लिए फिरते थे वो लोगों में बाँट गये
अमृत लाकर घर घर बांटें ये सिरदर्द हमारा था ||
मुझ को इतने हंगामों से पहले कब दिलचस्पी थी
मेरी जानिब उन आँखों का बेहद शोख इशारा था ||
यूं तो उस पर औरों ने भी हलके फुल्के वार किये
सब से तीखा वार था उसका जो " राठी " का प्यारा था ||
No comments:
Post a Comment