पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा
पाड़ बगा दिए गोरयां के गडरे थे जो देश मैं खूंटे रै ||
पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन मैं लड़ी थी
बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी
ठारा सौ सतावन के मैं जान क्रांति के बम्ब फूटे रै ||
भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे
उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ मैं घूमे
चंदर शेखर आजाद सहमी गोरयां के छक्के छूटे रै ||
सुभाष चंदर बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी
महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी
दो सौ साल राज करगे ये किसान मजदूर लूटे रै ||
गाँधी की गेल्याँ जनता जुडगी हर तरियां साथ दिया
चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया
बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ||
सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का
लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का
दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ||
छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं
ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं
रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे रै ||
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