Saturday, August 11, 2012

पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --


पन्दरा अगस्त आजादी का दिन --एक लेखा जोखा 

कितने गये काला पानी कितने शहीद फांसी टूटे रै||
पाड़  बगा दिए  गोरयां के गडरे थे जो देश मैं खूंटे रै ||
पहली आजादी की जंग थारा सो सतावन  मैं लड़ी थी 
बंगाल आर्मी करी बगावत जनता भी साथ भिड़ी थी 
ठारा  सौ सतावन के मैं जान क्रांति के बम्ब फूटे रै ||
भगत सिंह सुख देव राजगुरु फांसी का फंदा चूमे 
उधम सिंह भेष बदल कै लन्दन की गालाँ  मैं घूमे 
 चंदर शेखर आजाद सहमी गोरयां के छक्के छूटे रै ||
सुभाष चंदर बोश नै आजाद हिंद फ़ौज बनाई थी 
महिला विंग खडी करी लक्ष्मी सहगल संग आई थी 
दो  सौ साल राज करगे ये किसान मजदूर लूटे रै ||
गाँधी की गेल्याँ जनता जुडगी हर तरियां साथ दिया  
चाल खेलगे गोरे फेर बी देश मैं बन्दर बाँट किया 
बन्दे मातरम अलाह हूँ अकबर ये हून्कारे उठे रै ||
सोच घूमै इब्बी जिसने देख्या खूनी खेल बंटवारे का 
लाखां घर बर्बाद हुए यो क़त्ल महमूद मुख्त्यारे का 
दो तिहाई नै आज बी रोटी टुकड़े पानी संग घूंटे रै ||
छियासठ साल मैं करी तरक्की नीचे तक गई नहीं 
ऊपरै ऊपर गुल्पी आजादी नीचै जावन दई नहीं 
रणबीर सिंह टोह कै ल्यावै खुये मक्की के भूट्टे  रै ||

No comments:

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive