धर्म राजनीति और विवाद
पिछले कुछ समय में हमारी दुनिया में भयावह हिंसा हुई है | दो हवाई जहाज न्यूयार्क के डब्ल्यू . टी सी टावर से टकराते हैं, तीन हजार से ज्यादा लोग अपनी जानें गवां देते हैं और " इस्लामिक आतंकवादी " ओसामा बिन लादेन इस घटना के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं | तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश लादेन को पकड़ने के लिए अफगानिस्तान पर हमला करते हैं और इस हमले को धर्मयुद्ध बतलाते हैं |अमेरिका से हजारों किलोमीटर दूर भारत के गुजरात राज्य में ट्रेन के एक डिब्बे में आग लाग जाती है | राज्य के मुख्यमंत्री कुछ ही घंटों की जाँच से इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं कि ट्रेन आगजनी को इस्लामिक आतंकवादियों ने स्थानीय मुसलमानों के सहयोग से अंजाम दिया है | मोदी जी के साथी तुरंत युद्ध की मुद्रा में आ जाते हैं | उन्हें हिन्दू धर्म खतरे में दिखाई देने लगता है और वे " बदला " लेने की कसम खाते हैं | मोदी उन्हें इशारा कर देते हैं कि बदले की इस कार्यवाही के रास्ते में कोई अवरोध नहीं आने दिया जायेगा | वे अपने मातहतों को सख्त निर्देश देते हैं कि हिंसा को न रोका जाये | अति उत्साही प्रशासन इससे भी एक कदम आगे बढ़कर मुसलमानों के गले काटने में गुंडों की फ़ौज की भरपूर मदद करता है | दो हजार लाशें बिछा दी जाती हैं | कुछ ही साल पहले , बोस्निया और रवांडा में भी इसी तरह हजारों निर्दोषों को अपनी जानें गंवानी पड़ी थीं क्योंकि वे " गलत धर्म" के अनुयायी थे |पिछले तीन दशकों में धर्म के झंडे तले होने वाली हिंसा में भारी बढ़ोतरी हुई है | इसके साथ ही इस्लाम को हिंसा फ़ैलाने वाले धर्म और मुसलमानों को हिंसक व आतंकवादी समुदाय के रूप में प्रचारित किया किया गया है | क्या दुनिया में हो रही हिंसा केवल एक धर्म इस्लाम के करण है ?क्या धर्म के नाम पर की जा रही राजनीति का उदेश्य नैतिक मूल्यों, दीन या धर्म की रक्षा करना है ? क्या हिंसा सम्बंधित धर्म के अनुयायीयों की धार्मिक परम्पराओं या सामूहिक विश्वासों को बचाने की इच्छा से प्रेरित होती है ? धर्म के नाम पर की जा रही हिंसा से धर्म का क्या सम्बन्ध होता है ? इन सब सवालों को समझना और जवाब ढूंढना बहुत जरूरी है |
रणबीर
No comments:
Post a Comment