नब्बे और दस की लड़ाई नब्बे को समझ नहीं आई
दस ने अपनी पूरी ताकत न समझें इसपे है लगाई
मगर दस की जो पैसा आज ताकत है बेलगाम ये
एक दिन कर ही देगा इसकी भी नींद खूब हराम ये
तब अपनी असल शकल लेगी दस नब्बे की लड़ाई
इतिहास गवाह है मानवता का पलड़ा आखिर जीता
झूठ का संसार फले कितना सच बन जाती है कविता
इंसान की इंसानियत की वही झूठ भी देती है दुहाई
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