Monday, December 2, 2013

das nabbe

नब्बे और दस की लड़ाई नब्बे को समझ नहीं आई 
दस ने अपनी पूरी ताकत न समझें इसपे  है लगाई 
मगर दस की जो पैसा आज ताकत है बेलगाम ये 
एक दिन कर ही देगा इसकी भी नींद खूब हराम ये 
तब अपनी असल शकल लेगी दस नब्बे की लड़ाई 
इतिहास गवाह है मानवता का पलड़ा आखिर जीता 
झूठ का संसार फले कितना सच बन जाती है कविता 
इंसान की इंसानियत की वही झूठ भी देती है दुहाई 

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