Thursday, December 12, 2013

एक आगाज

एक आगाज 
हमारे समाज  ने दी एक आवाज 
हो गया बदलाव का अब आगाज 
होना मुश्किल आसान है कहना 
समझना आसान मुश्किल सहना 
जागरूकता हिस्सा जरूरी कहते 
मूल भूत बदलाव बाकी हैं  रहते 
काश लिंग अनुपात हमारा  सुधरे 
बेख़ौफ़ हो गलियों से लडकी गुजरे 
अभी मंजिल बहुत दूर है साथियों 
वक्त बदलना हमें जरूर है साथियों 

No comments:

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive