एक आगाज
हमारे समाज ने दी एक आवाज
हमारे समाज ने दी एक आवाज
हो गया बदलाव का अब आगाज
होना मुश्किल आसान है कहना
समझना आसान मुश्किल सहना
जागरूकता हिस्सा जरूरी कहते
मूल भूत बदलाव बाकी हैं रहते
काश लिंग अनुपात हमारा सुधरे
बेख़ौफ़ हो गलियों से लडकी गुजरे
अभी मंजिल बहुत दूर है साथियों
वक्त बदलना हमें जरूर है साथियों
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