कडुआ सच
मेरे दादा जी की शादी मेरी दादी से कर दी गयी
उनकी कोई देखा दाखि नहीं थी बस पडदादा गए
शादी पक्की करके ही लोटे थे और एक दिन सात
फेरे दिवा दिए और घर बस गया २० प्रतिशत भी
हमारे दादा दादी की रुचियाँ एक जैसी नहीं थी
बहुत बार लड़ते देखा उनको प्यार की बातें तो
करते कभी नहीं देखा डांट मारते थे हमपर दोनों
मेरे माता पिता की शादी भी मेरे गाँव के दो लोग
दादा के साथ गए और हाँ करके ही लोटे वे लोग
माता पिता भी गाँव के बाहर नौकरी पर शहरों में
रहे मेरी माँ घाघरा पहनकर होशियार पुर गयी
टेशन पर पुलिश वाले को शक हुआ की मेरा पिता
किसी गाँव की लड़की को भगा कर लेजा रहा है
बताया तो समझा वह मगर माँ ने एकदम सलवार
पहन ली और घाघरे को हमेशा हमेशा के लिए भूली
उनके प्यार के कारण हम सात भाई बहन पैदा हुए
चार बहनें और एक भाई जिन्दा है एक भाई और
एक बहन चल बसे मैं सबसे छोटा घर में फिर मेरी
शादी हुई लड़की देखी खतों किताबत की और शादी
हो गयी `````````````````````
मेरे माँ बाप के प्यार के कारण मैं पैदा हुआ इसमें
मेरी कोई भूमिका नहीं थी मगर पैदा होने के बाद
क्या मैं वही सब करूँ जो मेरे माँ बाप कहते हैं या
मेरा भी कोई अलग वजूद है यही है मेरा सवाल आज
६४ साल की उमर में ```````````````````````` !
मेरे बेटे और पुत्र वधु की अपनी कोई हैसियत है भी
नहीं या वो प्रोटो कोपी की तरह हमारा अनुशरण करेँ
अपनी इच्छाओं का गला घोंटकर!
या हमें खुस होना चाहिए अपने उनके अस्तित्व के
विकास पर ! यदि हाँ तो फिर आज प्यार पर इतनी
मारा मारी क्यों ?
मेरे दादा जी की शादी मेरी दादी से कर दी गयी
उनकी कोई देखा दाखि नहीं थी बस पडदादा गए
शादी पक्की करके ही लोटे थे और एक दिन सात
फेरे दिवा दिए और घर बस गया २० प्रतिशत भी
हमारे दादा दादी की रुचियाँ एक जैसी नहीं थी
बहुत बार लड़ते देखा उनको प्यार की बातें तो
करते कभी नहीं देखा डांट मारते थे हमपर दोनों
मेरे माता पिता की शादी भी मेरे गाँव के दो लोग
दादा के साथ गए और हाँ करके ही लोटे वे लोग
माता पिता भी गाँव के बाहर नौकरी पर शहरों में
रहे मेरी माँ घाघरा पहनकर होशियार पुर गयी
टेशन पर पुलिश वाले को शक हुआ की मेरा पिता
किसी गाँव की लड़की को भगा कर लेजा रहा है
बताया तो समझा वह मगर माँ ने एकदम सलवार
पहन ली और घाघरे को हमेशा हमेशा के लिए भूली
उनके प्यार के कारण हम सात भाई बहन पैदा हुए
चार बहनें और एक भाई जिन्दा है एक भाई और
एक बहन चल बसे मैं सबसे छोटा घर में फिर मेरी
शादी हुई लड़की देखी खतों किताबत की और शादी
हो गयी `````````````````````
मेरे माँ बाप के प्यार के कारण मैं पैदा हुआ इसमें
मेरी कोई भूमिका नहीं थी मगर पैदा होने के बाद
क्या मैं वही सब करूँ जो मेरे माँ बाप कहते हैं या
मेरा भी कोई अलग वजूद है यही है मेरा सवाल आज
६४ साल की उमर में ```````````````````````` !
मेरे बेटे और पुत्र वधु की अपनी कोई हैसियत है भी
नहीं या वो प्रोटो कोपी की तरह हमारा अनुशरण करेँ
अपनी इच्छाओं का गला घोंटकर!
या हमें खुस होना चाहिए अपने उनके अस्तित्व के
विकास पर ! यदि हाँ तो फिर आज प्यार पर इतनी
मारा मारी क्यों ?
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