Thursday, December 19, 2013

BITTER TRUTH

कडुआ सच 
मेरे दादा जी की शादी मेरी दादी से कर दी गयी 
उनकी कोई देखा दाखि नहीं थी बस पडदादा गए 
शादी पक्की करके ही लोटे थे और एक दिन सात
फेरे दिवा दिए और घर बस गया २० प्रतिशत भी 
हमारे दादा दादी की रुचियाँ एक जैसी नहीं थी 
बहुत  बार लड़ते देखा उनको प्यार की बातें तो 
करते कभी नहीं देखा डांट मारते थे हमपर दोनों 
मेरे माता पिता की शादी भी मेरे गाँव के दो लोग 
दादा के साथ गए और हाँ करके ही लोटे वे  लोग 
माता पिता भी गाँव के बाहर नौकरी पर शहरों में 
रहे मेरी माँ घाघरा पहनकर  होशियार पुर गयी
टेशन पर पुलिश वाले को शक हुआ की मेरा पिता 
किसी गाँव की लड़की को भगा कर लेजा रहा है 
बताया तो समझा वह मगर माँ ने एकदम सलवार 
पहन ली और घाघरे को हमेशा हमेशा के लिए भूली 
उनके प्यार के कारण हम सात भाई बहन पैदा हुए 
चार बहनें और एक भाई जिन्दा है एक भाई और  
एक बहन चल बसे मैं सबसे छोटा घर में  फिर मेरी
शादी हुई लड़की देखी खतों किताबत की और शादी
 हो गयी `````````````````````
मेरे माँ बाप के प्यार के कारण मैं पैदा हुआ इसमें 
मेरी कोई भूमिका नहीं थी मगर पैदा होने के बाद 
क्या मैं वही सब करूँ जो मेरे माँ बाप कहते हैं या 
मेरा भी कोई अलग वजूद है यही है मेरा सवाल आज 
६४  साल की उमर में ```````````````````````` !
मेरे बेटे और पुत्र वधु की अपनी कोई हैसियत है भी 
नहीं या वो प्रोटो कोपी की तरह हमारा अनुशरण करेँ 
अपनी इच्छाओं का गला घोंटकर!
या हमें खुस होना चाहिए अपने उनके अस्तित्व के 
विकास पर ! यदि हाँ तो फिर आज प्यार पर इतनी 
मारा मारी क्यों ?

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