मुक्त बाजार -- परफैक्ट समाज --कितना पर फैक्ट ???
बाजार व्यवस्था का आज चारों कांहीं जोर दिखाई देवै सै | दूसरे अमरीका बरगे देश तो बाजार व्यवस्था के आ गै माथा टे कें ए टे कें सें इब तो भारत देश बी मुक्त बाजार कहता कहता हिचकी सी लें लाग ज्या सै | कसूती रट लागरी सै म्हारे भारत देश महान कै |सारी की सारी आर्थिक अर सामाजिक समस्यावाँ की यो मुक्त बाजार " राम बाण दवाई " बताया जा वै सै |इसमें मुकाबले का कंसेप्ट सै मतलब बेहतरीन उत्पाद बेहतरीन कीमत पै | समझान की बात या सै अक फ्री मार्केट मैं छांटन मतलब चुनाव की सुविधा हो वै सै | उनका कहना सै अक इसे तरियां बनै गा "पर फैक्ट समाज "| मध्यम वर्ग नै यो जुमला बहोत भा वै सै | फेर इस पर फैक्ट समाज के कंसेप्ट नै जै माड़ा सा बी खुरच कै देखें तो इसका तम्बू सा पाटता दिखाई दे वै सै | इब दिक्कत की बात या सै अक आम हरयाणवी नै सोच्चन तैं तैं बहोत परहेज सै पर आज सोचें बिना काम कोनी चा लै | थामिए भाज ना लिए !!! माड़ा सोच कै देखां अक म्हारे देस मैं "कर" मतलब टैक्स कौन दे वै सै अर इन टैक्सों तैं कठ्ठा हुया पीस्सा कित अर क्यूकर खर्च करया जा वै सै तो दूध का ढूध अर पानी का पानी साहमी आज्या सै माड़ी सी वार मैं | किस ताहीं सब्सिडी अर कितनी सब्सिडी दी जा वै सै अर किस नै इसका फायदा होया सै ?
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