छोटे शहर बदल रहे
रात के ढाई बज चुके हैं यारो पर
मेरा शहर अब भी जाग रहा है
मेरे युवा भारत की आँखों में नींद
नहीं है
कुछ नौजवान डी जे की धुन पर
थिरक रहे हैं और मस्ती में मस्त हैं
यह सीन किसी मैट्रो शहर का हो
मगर ऐसा नहीं है यह सीन तो अब
लखनऊ बनारस लुधियाना और
रायपुर इंदौर भोपाल गुडगाँव
जैसे शहरों में भी रात का शबाब
अपने पूरे यौवन पर होता है
नौजवान यहाँ के सो कर नहीं बिताते
रातें बिताते है जाग जाग कर यहाँ
कहते जिन्दगी बहुत हसीं हो जाती
माई न्ड रिफरेशमेंट हम सब की हो पाती
इन शहरों का भूगोल तो अब भी
वैसा ही है मेरे ख्याल में
मगर बदल गए युवाओं के मिजाज
दिल्ली मुंबई कोलकता जैसे शहरों
या फिर में यू के या यू एस ए में
कुछ साल के बाद
वापसी हुई है नौजवानों की तो
अपने साथ उन शहरों के लाये हैं
लाइफ़ स्टाइल और मस्ती के नुस्खे
सौगात में
जबर दस्त ललक है इस तरह से
जीने की उनके दिल में आज
इस बदले मिजाज को बाजार ने
बहुत अच्छी तरह पहचान लिया है
इसीलिये छोटे शहरों में भी इसके
शो रूम ,इटिंग पॉइंट्स उभर रहे हैं
और एक मॉल कल्चर विकसित
हो रही है
हमारे में से कुछ बुजुर्ग
युवाओं की इस आजाद ख्याली को
सभ्यता और संस्कृति की राह में
बड़ी रूकावट मान रहे हैं
वे इसको युवाओं की महत्वाकांक्षा और
भोग विलास का नाम दे रहे हैं
पर सामाजिक चिन्तक इस बदलाव का
स्वागत करते नजर आये
रात के ढाई बज चुके हैं यारो पर
मेरा शहर अब भी जाग रहा है
मेरे युवा भारत की आँखों में नींद
नहीं है
कुछ नौजवान डी जे की धुन पर
थिरक रहे हैं और मस्ती में मस्त हैं
यह सीन किसी मैट्रो शहर का हो
मगर ऐसा नहीं है यह सीन तो अब
लखनऊ बनारस लुधियाना और
रायपुर इंदौर भोपाल गुडगाँव
जैसे शहरों में भी रात का शबाब
अपने पूरे यौवन पर होता है
नौजवान यहाँ के सो कर नहीं बिताते
रातें बिताते है जाग जाग कर यहाँ
कहते जिन्दगी बहुत हसीं हो जाती
माई न्ड रिफरेशमेंट हम सब की हो पाती
इन शहरों का भूगोल तो अब भी
वैसा ही है मेरे ख्याल में
मगर बदल गए युवाओं के मिजाज
दिल्ली मुंबई कोलकता जैसे शहरों
या फिर में यू के या यू एस ए में
कुछ साल के बाद
वापसी हुई है नौजवानों की तो
अपने साथ उन शहरों के लाये हैं
लाइफ़ स्टाइल और मस्ती के नुस्खे
सौगात में
जबर दस्त ललक है इस तरह से
जीने की उनके दिल में आज
इस बदले मिजाज को बाजार ने
बहुत अच्छी तरह पहचान लिया है
इसीलिये छोटे शहरों में भी इसके
शो रूम ,इटिंग पॉइंट्स उभर रहे हैं
और एक मॉल कल्चर विकसित
हो रही है
हमारे में से कुछ बुजुर्ग
युवाओं की इस आजाद ख्याली को
सभ्यता और संस्कृति की राह में
बड़ी रूकावट मान रहे हैं
वे इसको युवाओं की महत्वाकांक्षा और
भोग विलास का नाम दे रहे हैं
पर सामाजिक चिन्तक इस बदलाव का
स्वागत करते नजर आये
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