आसंडा मामला ---राठी बनाम हुड्डा
हरयाणा के झझर जिले के आसंडा गाँव के राठी गोत्र के रामपाल का विवाह रोहतक जिले के सांघी गाँव के हुड्डा गोत्र की लड़की सोनिया से हुआ । सितम्बर 2004में राठी खाप के मुखिया धर्मसिंह राठी की अध्यक्षता में खाप पंचायत हुई ,जिसमें रामपाल और सोनिया के विवाह को रद्द कर दिया गया । उनको भाई बहन घोषित किया गया । कुछ युवाओं के साथ पंचायत के एक बुजुर्ग रामपाल के घर गए और उसे दस रूपये का नोट देकर सोनिया को शगुन के रूप में देने को कहा । रामपाल ने दबाव में नोट स्वीकार कर लिया हालाँकि सोनिया ने साहस दिखाया और बुजुर्ग का विरोध करते हुए कहा कि जिसका बच्चा उसके गर्भ में है वह उसे भाई कैसे स्वीकार कर सकती है । विरोधस्वरूप वह घर से बाहर चली गयी । उसे गहरा सदमा लगा और वह बीमार पड़ गई और उसे रोहतक अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा ।
यह पूरी घटना इतनी अजीब थी कि विश्वास करना मुश्किल था । खाप द्वारा स्वीकृत किसी भी वैवाहिक प्रतिबन्ध की उलंघना नहीं की गई थी । इस मामले में गोत्र ,खाप ,गाँव ,और जिला हर चीज अलग थी ।
कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आसंडा गाँव का दौरा किया और सबसे पहले वे वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत बुजुर्ग व्यक्ति से मिले जो खाप पंचायत में पञ्च थे ,जिसमें विवादापस्त निर्णय लिया गया था । उनसे बड़ी विनम्रता से पूछा गया कि जब विवाह सम्बन्धी किसी प्रतिबंध का उलंघन नहीं किया गया है तो ऐसा फतवा देने के पीछे क्या कारन थे ? लड़की के पिता हरयाणा पुलिस में सेवारत थे और अपने नाम के साथ हुड्डा लिखते थे और लड़की के दादा मृत्यु से पूर्व हुड्डा खाप के मुखिया भी रहे थे । उनहोंने बताया कि वह लड़की ऐसे परिवार से आई है जो वर्तमान में तो हुड्डा है ,लेकिन पाँच सौ साल पहले यह परिवार राठी था । इसलिए यह भाई बहन के बीच शादी है ।
उस आदमी से जब यह पूछा गया कि किसने , कब और कैसे खोज की और इसके ऐतिहासिक प्रमाण क्या हैं तो उत्तर में उसने एक असंगत कहानी बताई । उनके मुताबिक पाँच सौ साल पहले सांघी गाँव की हुड्डा की लड़की की शादी राठी लड़के से हुई जिसकी बाद में मृत्यु हो गई । लडकी गर्भवती थी और सांघी में अपने माता पिता के पास रहने लगी । उसकी सन्तान ने हुड्डा गोत्र अपना लिया जबकि वास्तव में वे राठी थे । उनका ध्यान इस और दिलाया गया कि कितने ही अल्प संख्यक गोत्र के जाटों ने गाँव के वर्चस्वी गोत्र को स्वीकार कर लिया और किसी ने ऐतराज नहीं किया । लेकिन वह व्यक्ति अपनी जिद्द पर अड़ा रहा और जोर देता रहा था कि खाप पंचायत ने जो निर्णय लिया वह सही था । डी आर चौधरी जी ने उससे कहा कि आप वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत हैं,उच्च शिक्षित व्यक्ति हैं ,आपने चार्ल्स डार्विन का मानव की उत्पत्ति का सिद्धांत तो पढ़ा होगा कि मनुष्य का विकास बंदरों से हुआ है । यदि पीछे जाओगे तो बंदरों के पास पहुंचोगे । लड़ने की मुद्रा में उसने कहा ,”हाँ ,मुझे इस सिद्धांत का कुछ कुछ याद है लेकिन डार्विन हो या कोई और यहाँ खाप का हुकम चलता है और यदि रामपाल -सोनिया पति पत्नी के रूप में गाँव में रहेंगे तो खून खराबा अवश्य होगा । “आस पास खड़े लोगों ने उसकी बात ते हुएसे सहमत हो सिर हिलाया ।
रामपाल के घर में तीन छोटे छोटे कमरे थे और मकान की हालत बेहद खस्ता थी । एक कमरे में अधरंग से पीड़ित उसकी मां चारपाई पर लेती रहती थी । रामपाल छोटी सी जोत का मालिक था और अपने घर में सरकार द्वारा तैनात पुलिस वालों की खातिर दारी करना उसके लिए बहुत मुश्किल काम था । वह सदमाग्रस्त हो गया था और बेसिरपैर की बातें करता रहता था । उसकी पत्नी सोनिया अस्पताल में ही थी । उसको उसकी बहुत चिंता थी । हालाँकि उसकी पत्नी के साहसिक कदम से वह कुछ होंसले में नजर आने लगा था ।
राठी खाप का प्रधान भाप रोदा का था । उसका स्पष्ट मत था कि पति पत्नी के रूप में वे आसंडा गाँव में नहीं रह सकते , उन्हें कहीं और जाना पड़ेगा । बाहर के लोग उनकी परम्पराओं से अनजान हैं तो हम क्या कर सकते हैं । हमें परम्पराओं का सम्मान तो करना ही होगा
। पूरी घटना कई दिनों तक मीडिया की सुर्ख़ियों में छाई रही । प्रिंट मीडिया के पत्रकार आसंडा में कई दिन तक डेरा डाले रहे और कुछ टी वी चैनल भी आते रहे । इसके बाद पी यू सी आर से संम्बद्ध वकील ने पंजाब व् हरयाणा उच्च न्या यालय में जनहित याचिका दायर की तथा अखिल भारतीय जनवादी महिला समिती और कई संस्थाओं ने साथ दिया । अक्तूबर २ ० ० ४ में न्या यालय ने निर्णय दिया कि पंचायत का दम्पति के जीवन में दखल करने का कोई अधिकार नहीं है और स्थानीय प्रशासन को दम्पति की सुरक्षा तथा गाँव में बिना किसी भय के बसने में सहयोग करने का निर्देश दिया । जिला पुलिस अधीक्षक भरी पुलिस बल के साथ आसंडा गाँव में पहुंचे । खाप पंचायत की बैठक बुलाई गई और दबाव में निर्णय को बदला गया । से यह दम्पति गाँव में रह रहा है हालाँकि बहुत देर तक इस भयानक अनुभव से गुजरी । बहुत बार अस्पताल में वह तथा उसकी नन्द शीला आते रहे हैं । मुलाकात कई बार हुई । कभी कभार तान्नों का सामना करना पड़ता है । वह सामना करती है ।
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