ये बचपन जो भूखा है और ये बचपन जिंसकी भूख किसी और को मिटानी चाहिए अपने नन्हें
नन्हें हाथों से काम कर असहाय माता - पिता की भूख मिटाने के लिए काम कर रहे हैं और कहीं कहीं तो नाकारा बाप के अत्याचारों से तंग आकर उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी .
मेरे कोलीग ने कहा - कोई लड़की काम करने के लिए आपके जानकारी में हो तो बताना . घर में रखना है कोई तकलीफ नहीं होगी , घर वालों को हर महीने पैसे भेजते रहेंगे . क्या कहता उनसे ? उनकी बहू और बेटियां बहुत नाजुक है कि वह अपने बच्चों तक को नहीं संभाल सकती हैं और घर के काम के लिए उन्हें कोई बच्ची चाहिए क्योंकि उसको डरा धमका कर काम करवाया जा सकता है और अगर बाहर की होगी तो उसके कहीं जाने का सवाल भी नहीं रहेगा । बड़े मध्यम वर्ग की यह जीवनशैली बन गयी है । बल मजदूरी विरोधी दिवस मनाना जरूरी है । मगर इस लाइफ स्टाइल का क्या विकल्प है ।
No comments:
Post a Comment