Wednesday, June 12, 2013

BAL DIWAS



ये बचपन जो भूखा है और ये बचपन जिंसकी भूख  किसी और को मिटानी चाहिए अपने नन्हें 
नन्हें हाथों से काम कर असहाय माता - पिता  की भूख मिटाने के लिए काम  कर रहे हैं और कहीं कहीं तो नाकारा बाप के अत्याचारों से तंग आकर उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी . 
                मेरे कोलीग ने कहा - कोई लड़की काम करने के लिए आपके जानकारी में हो तो बताना . घर में रखना है कोई तकलीफ नहीं होगी , घर वालों को हर महीने पैसे भेजते  रहेंगे  . क्या कहता  उनसे ? उनकी बहू और बेटियां बहुत नाजुक है कि  वह अपने बच्चों  तक को   नहीं संभाल सकती हैं और घर के काम के लिए उन्हें कोई बच्ची चाहिए क्योंकि उसको डरा धमका कर काम करवाया जा सकता है और अगर बाहर  की होगी तो उसके कहीं जाने का सवाल भी नहीं रहेगा । बड़े मध्यम वर्ग की यह जीवनशैली बन गयी है । बल मजदूरी विरोधी दिवस मनाना जरूरी है । मगर इस लाइफ स्टाइल का क्या विकल्प है ।

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Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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