शोर गुल बहुत है नहीं आवाज सुनाई देती
बनावटी ही बनावटी हर चीज दिखाई देती
कैसे रहते हैं लोग अंधेरों के दरमियाँ यारो
दिखाई वहां की हमें ये कैसी सच्चाई देती
मेरे बदन में दर्द के खंजर उतार कर यारो
पूछते हैं लोग मुझसे राहत कैसे दवाई देती
हमारे घर में आग लगी कोई बात नहीं यारो
खुद को लगी तो दिखाई जनता की बेवफाई देती
जिद्द है उनकी यही तो जिद्द है अपनी भी
हांर ना मानेंगे यारो जीत की घंटी सुनाई देती
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