Saturday, February 4, 2023

रचनाकार

 *लेखक और रचनात्मकता बारे कुछ चर्चा*

संवेदना जो सबसे ज्यादा मूल रचनात्मकता की होती है, वह आवश्यक है। सामाजिकता,
सामुदायिकता और संवेदना अगर समाज की को संवेदनशील नहीं बना सकते हैं तो वह रचनात्मकता चाहे कितनी ही विचारधाराओं से लैस क्यों नै हो किस मतलब की होगी ?
    रचनात्मकता की यह सबसे बड़ी भूमिका होनी चाहिए। किसी भी समाज को और खासतौर से जब समाज निष्ठुर और हिंसक लगातार होता जा रहा हो, उस समाज को संवेदनशील बनाने का कार्यभार रचनात्मक रचनात्मकता का सबसे बड़ा कार्यभार है। हम आप देखते हैं कि कोई चिड़िया है, चिड़िया भूखी है, भूखी है वह किसी कीड़े को खाएगी ही, चिड़िया के पास एक आवाज भी है, लेकिन कीड़े के पास कोई आवाज नहीं है। यानी अगर हमारी रचनाशीलता चिड़िया की भूख को देखती है तो जिस कीड़े को वह खा रही है अगर उस कीड़े की छटपटाहट को , उसकी जिंदगी को भी वह देख पाती है यानी मूक को भी अगर वाणी देने में सक्षम है तो वह यह रचना शीलता, संवेदनशीलता हमारे काम की होती है । कभी-कभी तमाम जोड़े नए जोड़े खासतौर से बाइक से जाते हैं । इस बीच लोग बाइक बहुत तेज चलाते हैं, जहाज से भी ज्यादा तेज चलाते हैं। अगर उनके पीछे मान लो उनकी प्रियतमा बैठी है और उसकी गोद में दो-तीन महीने का बच्चा हो। अगर कोई लगातार इस दृश्य को देखता है तो उसे लगता है कि उसकी साड़ी या उसका दुपट्टा या उसकी सलवार कहीं बाइक के पहिये में ना फंस जाए और और कहीं बच्चा गिर ना जाए। देखने वाला जरूर लगातार इससे बेचैन रहेगा । यह बेचैनी, यह संवेदनशीलता जो रचनात्मक होने के मायने हैं , उसे चार शब्दों में निरूपित किया जा सकता है।  एक तो प्रेम, व्यक्ति-व्यक्ति के बीच प्रेम, समाज समाज के बीच में प्रेम और इस तरह से इस विश्व प्रेम की अवधारणा बनती है। दूसरे, पीड़ा की अभी बात हो रही थी जिसके लिए सबसे बड़ी जरूरी है करुणा। अगर करुणा का तत्व नहीं है तो दिक्कत है और चौथा शब्द है प्रतिरोध। इन चार बातों पर और ज्यादा विस्तार से विचार किया जा सकता है। एक उदाहरण है कि-
एक पक्षी है ,पक्षी का जोड़ा है और पक्षी का जोड़ा अपने एकांत के समय में प्रेम में मशगूल है। उसे दुनिया की कोई खबर नहीं है। ऐसे में एक शिकारी आता है। और  जोड़े में से एक को मार देता है। प्रेम जीवन का सर्वाधिक अनिवार्य है और घनिष्ठतम क्षण है। ऐसे में एक बहेलिया निशाना लगाता है और उस जोड़े में से एक की जान चली जाती है। यहां कई दृश्य उपस्थित हैं। एक तो यह हुआ कि एक मारा गया हत्या हुई। दूसरा जो बचा हुआ है ऐसे में उसकी क्या स्थिति होगी? उसकी पीड़ा को, उसके दुख को जिस करूणा की जरूरत हो सकती है वह भी एक मुख्य क्षेत्र हो जाता है।

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