Sunday, May 26, 2013

paanch saal kee

मैं मैडीकल कालेज
मेरी यात्रा नहीं ज्यादा पुरानी
महज तेतालीस बरस की उम्र
१ ९ ६ ० --६ १ में सोचा गया रचा गया
कुछ लोगों ने मांग की
इतिहास इसका साक्षी है
विचारों द्वंदों संघर्षों के बीच
जनम हुआ है मेरा
करना शुरू किया मैंने अपना रूप धारण
धीरे धीरे मेरा वजूद सामने आया
मैंने आत्मसात किया
खुशियों और ग़मों को
जन जन के दुःख और सुख को
अनेक बार संकट झेले मगर
कदम आगे ही बढ़ते चले गए
बार बार मरीजों का हितेषी बना
कभी जन विरोधी रुख भी रहा
समय काल की सीमाओं में
मेरा विकास तय हुआ
राज्य के सामाजिक हालातों ने भी
मेरा विकास किया और
मेरी सीमायें तय की
लेकिन  मेरा
केवल यही पक्ष नहीं
मैंने न्याय का साथ दिया
इलाज सीखा और सिखाया
कमजोरियों का पर्दा फाश किया
नए विचारों के बीज बोये और
कई बदलाओं  ने जनम लिया
नयी खोज को पूरी लगन से
लोगों के दुःख दर्द उनकी पीड़ा को
मैंने दिल की धड़ कण बनाया
इस तरह मेरा
सामाजिक बोध विशाल बना
और मैं अधिक संवेदनशील हुआ
मैं मैडीकल कालेज
भविष्य की संभावनाएं दिखाता
जन जन को बीमारी से निजात दिलाता
मैं लोगों में ही रहता हूँ
उनके बिना मेरा कोई
वजूद ही नहीं है
मेरे रेजीडैन्ट डाक्टर
जी तोड़ मेहनत करते
सीनियर फैकल्टी भी ज्यां खपाती
पैरा  मैडीकल के  योगदान
इनकी तिल तिल की मेहनत से
पलता बढ़ता
इनकी संवेदनशीलता की नींव पर
इस तरह मैंने अपना रूप ग्रहण किया
मैं जन स्वास्थ्य का वाहक
लोगों के दिलों में बैठने का इच्छुक
अपने काम में जूटा रहता हूँ
चौबीस घंटे दिन और रात
मैं मैडीकल कालेज
जात धर्म उंच नीच के भेद लाँघ कर
हर समुदाय की सेवा को तत्पर
चलता गया सन १ ९ ७ ७ तक
एक दुर्घटना घटी और हमें बाँट गयी
फिर से साहस बटोरा मैंने
और जुट गया अपने काम में
बहुत से लोगों ने रोल मॉडल का
रोल निभाया
राष्ट्रीय मुक्ती आन्दोलन का प्रभाव
एक दौर तक नजर आया
डा इन्द्रजीत दीवान
डा प्रेम चंद्रा
डा विद्यासागर
डा जी एस सेखों
डा इंद्र बीर सिंह
डा पी एस मैनी
डा रमेश आर्य
और भी लम्बी फहरिस्त है
इनकी बदौलत मेरा कद
बढ़ा फिर भी
संतोष नहीं किया मैंने और रहा अग्रसर
दो कदम आगे एक कदम पीछे
और पहुँच गया नब्बे के दशक में
समय गुजरता गया
मैं भी चलता गया समय के साथ
दो हजार आठ दो जून को
मैंने हैल्थ यूनिवर्सिटी की
शक्ल अखित्यर की
या यूं कहें प्रश्व पीड़ा के बाद
मैं पैदा हो ही गई
आज मैं पांच बरस की हो गई
मेरे जनम के दौर में जब मैं
गर्भ में थी तब लोगों में
मौजूद शंकाओं और रूढ़ियों के
बावजूद मैंने जनम लिया और
अपना विकास किया
पूरे हिंदुस्तान में इस नन्ही
गुडिया ने अपनी पहचान बनाई
मानवीय मूल्यों के उत्कर्ष तक
पहुंचे यहाँ कार्यरत लोग
पूरे हरियाणा में एक पहचान बनी
आहिस्ता आहिस्ता एक शकल ली
मैंने अपने पंख फैलाये
खेल कूद में मन लगाया
सास्कृतिक धरातल पर भी
विकास किया मैंने
समाज के बहुत ही विरोधाभाषी
माहौल में लोगों की आवा  जाही
के बीच कभी धीमे तो कभी तेज
मैंने मैडीकल शिक्षा रीसर्च और
मरीज सेवा में कदम बढ़ाये
मुझे मालूम है कई कमियां है
मुझ में कई कमजोरियां हैं मेरी
कई खामियां हैं
कई का पूरा समाज जिम्मेवार
कई की सरकार जिम्मेवार
कई के हम खुद जिम्मेवार
कमियों  और कमजोरियों को
पहचानते हुए हम नए आस्मां
की तरफ आगे बढ़ रहे
नया ओपी डी बलॉक
नया मेंटल होस्पीटल
नया ऑडी टो रियम
नया सुपर स्पैसिलिटी बलॉक
यह सब दिखा रहे हैं जरूरतों
के प्रति प्रतिबधता 
आगे बढ़ना है अभी और मुझे
आप सब की मदद से \और
सरकार की उदारता पर
उम्मीद है की हम सब मिलकर
लालच तुच्छ स्वर्थों से ऊपर
उठकर
कली भेड़ों को अलग थलग
करके
सच्ची मेहनत  व् लगन के साथ
और ऊंचाईयों को छू  लेंगे हम
पांच साल की बची को जो
२ ० ० ८ में पैदा हुई आज २ ० १ ३ में
पहुँच गयी
सुरक्षित रखना जनता की
जिम्मेदारी है ॥।




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