Sunday, May 26, 2013

हरियाणा का समाज

हरियाणा का समाज
हरियाणा के समाज ने मान लिया कि
हरित क्रांति लाकर कि
अच्छी फसलें उगाकर कि
उद्योगों का बेइंतिहा विकास करके
हम प्रगति शील बन जायेंगे
हरियाणा नंबर वन होगा
मगर अफ़सोस !
यह नहीं हो सका
समाज में बुराईयाँ बढ़ती गई
आज हरियाणा का समाज
बेटियों का हत्यारा बन गया
हरा भरा हरियाणा जहाँ
दूध दही का खाना मगर
गर्भवती महिला में अनीमिया
दस प्रतिशत बढ़ जाना
हमारे समाज में
कमजोर होती संवेदनशीलता
मानवीय मूल्यों का पतन
ईस्मा ईला बोहर जैसे कुख्यात
गाओं का उदय
सामाजिक न्याय और समानता
का कमजोर होता अहसास
महिला उत्पीडन का बढ़ना
दलित दमन के कई जगह विस्फोट
वैज्ञानिक नजर व्  अच्छे  साहित्य
की अनुपस्तिथि का परिचय दे रहे हैं
इस समाज का ताना बाना टूट रहा है
युवा पीढी भटक रही है
सही  रास्ता दिखने में राजनीति
सक्षम नहीं हो रही है
नशा फ्री सेक्स और मौज मजा
किसी भी कीमत पर
यह शार्ट  कट अपना लिया
युवा नौजवानों ने
यह समाज गोत्र गाँव और
जात  पात की एकता में
रास्ता तलशता है
या कभी पुरानी परंपराओँ की
तरफ मुड़ना चाहता है
नए पुराने की अच्छाई को
आत्मसात करके अपने
विवेक को निखर नहीं पा  रहा है
समाज की इस स्थिति का
एक कारन वैज्ञानिक
नजर की अनुपस्थिति है
साथ ही अच्छे साहित्य की कमी
आज हरियाणा के समाज को शार्ट कट
से हटकर अपने हित के लिए अच्छे
साहित्य की लम्बी और दुर्गम यात्राओं
से जुड़ना ही होगा
रूढ़ीवाद और परिवारवाद को
त्याग  कर विवेक और
वैज्ञानिक नजर को अंगीकार
करना ही होगा
समाज में न्याय चेतना का निखार
मानवीय मूल्यों का प्रवाह
नागरिक अधिकारों का सम्मान
सामाजिक रिश्तों में बेहतरी तथा
चिंतनशील संवेदनशील पुख्ता
सामाजिक ढांचों का विकास करने में
साहित्य और विवेक की
अहम्  भूमिका रही है
इतिहास इसका गवाह है




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