Tuesday, May 8, 2012

एक महिला की पुकार


एक महिला की पुकार 
खत्म हुई सै श्यान मेरी , मुश्किल मैं सै ज्यान मेरी 
छोरी मार कै भान मेरी , छोरा चाहिए परिवार नै ||
पढ़ लिख कै कई साल मैं मनै नौकरी थयाई बेबे 
सैंट्रो कार दी ब्याह मैं , बाकी सब कुछ ल्याई बेबे 
घर का सारा काम करूँ , ना थोड़ा बी आराम करूँ 
पूरे हुक्म तमाम करूँ , औटूं सासू की फटकार नै ||
पहलम मेरा साथ देवै था वो मेरे घर आला बेबे 
दो साल पाछै छोरी होगी फेर वो करग्या टाला बेबे 
चाहवें थे जाँच कराई ,कुनबा हुया  घणा कसाई 
मैं बहोत घनी सताई , हे पढ़े लिखे घरबार नै ||
जाकै रोई पीहर के महँ पर वे करगे हाथ खड़े 
दूजा बालक पेट मैं जाँच कराण के दबाव पड़े  
ना जाँच कराया चाहूं मैं, पति के थपड़ खाऊँ मैं 
जी चाहवै मर जाऊं मैं , डाटी सूँ छोरी के प्यार नै ||
दूजी छोरी होगी सारा परिवार तन कै खड्या हुया 
नाराजगी अर गुस्सा दिखे सबके मुंह जडया हुया  
अमीर के धोरै जाऊं मैं ,अपनी बात बताऊँ मैं 
रणबीर पै लिखाऊँ मैं  , बदलां बेढंगे संसार नै ||

No comments:

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

Blog Archive