Thursday, May 3, 2012

kimai to socho



खरी खोटी
रणबीर
पूरे गांव में यह चर्चा का विषय बन गया। कुछ पुरुष कह रहे हैं कि क्या इस गांव को अमरीका बनाओगे? पुरुषों का खासा हिस्सा यही चाहता था कि कमला रामफल भाई-बहन बन जाएं। मगर औरतों का बड़ा हिस्सा इसके खिलाफ था। कई औरतों ने कहा-अब यह कैैसे हो सकता है? वे आपस में बातें करती हैं और क्या कहती हैं भला- पेट मैं पलै साथ मैं क्यों तुम दो ज्यानां नै मार रहे। गया बदल जमाना क्यूं पाप की माला गल मैं डाल रहे? बालक का रिश्ता के होगा भाण-भाई बनावैं सैं। भाण-भाई के रिश्ते कै बी क्यों कालस  लगावें सै गाम में जो बड़े पंचायती वे घणे दुष्कर्म करावें  सैं। छेड़खानी-बलात्कार पै ना कदे पंचायत बुलावै सैं। कंस रूपी ये पंचायती बिकलाने मैं पिना धार रहे। राठी और दहिया बीच ब्याह ये णुरतै होत्ते आये सै। चौटाला गाम मैं कई नै आपस मैं ब्याह रचाये सैं। हरेक गाम मैं गोत पन्दरा गये आज ये गिनाये सैं। किस किसनै बचावांगे ये सवाल गये ईब ठाये सैं। क्यों इन मासूमां ने बिना बात के फांसी तार रहे।। परम्परावादी सोतै बैल की खेती ल्यादी हटकै रै। जंग लागै चाकू तै ओरनाल काटो सब डटकै रै। पुराना घाघरा कड़ै गया गोत क्यों थोरे अटकै रै। इतने गोत क्यूंकर बचैंगे बात म्हारै योह खटकै रै। ना पुराना ठीक सारा इसपै नहीं कर विचार रहे। इतनी प्यारी छोरी लाग्गै क्यों पेट मैं इनै मार रहे? खरीद कै ल्याओ यू पी तै जिब ना गोत विचार रहे। ब्याह-शादी मुश्किल होरे ना नये नियम धार रहे। गोतां की सीमा ये टूटैंगी लोग खड़े-खड़े निहार रहे। रणबीर बरोनिया पै पंचायती पिना ये तलवार रहे। सरोज कमला की बचपन की दोस्त सै। वा कैनेडा मैं सै। वह एक वेबसाइट पर कमला के बारे में जानकारी हासिल करले सै। अंग्रेजी के अखबारदि ट्रिब्यून "में भी खबर पढ़ै है। वह कमला के बारे में बड़ी चिंतित हो जाती है। वह कमला को एक पत्र लिखती है। क्या लिखती है भला-रोज पढूं खबर कमला अंग्रेजी के अखबार मैं। महिला फांसी तोड़ी जावैं बिकलाने के दरबार मैं। संविधान की खुल कै नै पंचायत नै धज्ज्यिां उड़ाई हैं। राजनैतिक नेतावां नै चुप्पी मामले मैं खूब दिखाई है। जमा शरम नहीं आई है जहर मिलाया घरबार मैं। प्रशासन खडय़ा देखै क्यों मेरै समझ नहीं आया हे। संविधान का चौड़े मैं पंचायत नै मजाक उडाया है। ना कोए कदम ठाया है इस झझर की सरकार नै।
कोर्ट मैं ब्याह करया था पंचायत नै आज तोड़ दिया। भाण-भाई का उसनै इसमैं ब्यर्थ नाता जोड़ दिया। रामफल जमा मरोड़ दिया गोतां की तकरार नै। परम्परावादी रूढि़वादी रणबीर ये नाश करैंगे हे। आगली पीधी  के बालक घाटा किस ढाल भरैंगे हे। के बेरा कितने लोग मरैंगे हे पंचायतां की हुंकार मैं। दस गामां पंचायत के अध्यक्ष गांव बरवाना के प्रणान कर्मबीर को जब पता लगता है इस फैसले का तो उन्हें बहुत दुख होता है। वे इस तालिबानी फरमान से सहमत नहीं। के कहवैं सै भला- अठगामा पंचात राठी की बिकलाना फरमान गल्त बतावै। बरवाना का प्रणान कर्मबीर कोन्या सुर मैं सुर मिलावै। दसगामे नै कोए लेना-देना ना तालिबानी फरमान तै। राठी दहिया मैं ब्याह होवैं चाहूं बताया हिंदुस्तान तै। बण कसाई इंसान तै क्यूं बिकलाना घणी णौंस दिखावै। राठी दहिया के छोरा-छोरी आपस मैं खूब बयाह रचावैं। कोए बन्दिश कोन्या पंचायती हम खोल कै नै बात बतावैं। हम बिकलाने मैं समझावैं सडांण फैसले मैं तै घणी आवै। कमला-रामफल पति-पत्नी भाण-भाई बनाना ठीक नहीं। संविधान सै भारत का इसका मजाक उड़ाना ठीक नहीं। उत्पात मचाना ठीक नहीं इस ढाल की बात सुनावै। निजाम पुर गाम दिल्ली मैं उड़ै जाकै खुद देख लियो। पिछड़ी समझदारी त्याग कै उड़ै जाकै माथा टेक लियो। चौबीस नै फैसले नेक कियो रणबीर बरोनिया समझावै।

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