Posted On May - 16 - 2010
खरी
खोटी
रणबीरइसे बात नै अक राई का पहाड़ बणा दिया कई न्यों बी कैह देवैं सैं अक बात का बतंगड़ बना दिया। खासकर माणस खाली बैठ्या हो तै राई का पहाड़ बणावण मैं वार कोन्या लागती। म्हारे गामां मैं खेती की पैदावार कम होगी। खेतां मैं मशीनीकरण करकै काम करण का ढंग बदलग्या। अर रही सही कसर म्हारे बिहारी भाईयां नै आकै अर म्हारे काम मैं हाथ बंटा कै पूरी करदी। सच्चाई या सै अक ये सस्ते मजदूर सैं। माणस ठाली होगे। खाली दिमाग तो फेर किमै ना किमै कुबधी बात सोचैगा। तड़कैएं लागैं सैं ताश खेलण अर सांझ होज्या सै- गेर रै गेर पत्ता गेर। घरआली साथल साथल पाणियां मां कै चमाशे मैं डांगरां खतिर जवार का भरोटा ल्यावै अर भाई ताश खेल कै दिल बहलावै। इसे तरियां एक हिस्सा ठेकेदारी मैं बड़ग्या। कमीश्नखोरी का बढिय़ा काम चाल रहया सै। दारु के ठेके अर और बेरा ना क्यां क्यां के ठेके लेरे सैं। कुछ आढती बी बनगे अर छोटे किसान की खूब खाल तारैं सैं। इनकै धौरै ब्योंत चौखा होग्या। कार होगी। घर मैं एसी आग्या। घी सा घलरया सैं इन आन्डियां कै। हाथ तैं काम करण का कोए मतलबै कोन्या। बस न्योंण न्योंण जुगाड़ मैं कै चौधर बिठावण मैं लाग्या रैहना। खापां मैं बी बिना बात के बतंगड़ बनावण मैं इनकी महारत सै। इनमां तै ए एक परिवार सै नफे अर कमला हर का। कमला कै बालक होन्तू था। एक रात नै दोनूं बतलाए। कमला बोली- मैं जो बालक होवैगा इसनै डाक्टर बनाउंगी। गाम मैं बीमारी बहोत बधगी। ओ म्हारी देखभाल आच्छी ढाल कर लिया करैगा। नफे बोल्या-ना मैं तो उसनै वकील बनाउंगा।आजकाल कचहरियां मैं मुकद्दमें बहोत बधगे। तलाक के केसां की गलेट लागरी सैं कचहरियां मैं। बहोत कमावैगा वकील बणकै बालक। कमला कहवै मैं डाक्टर बनाउंगी बालक नै। नफे कहवै मैं वकील बनाउंगा बालक नै। दोनों जोर-जोर तै बोलण लाग्गे। थोड़ी सी वार मैं असली हरियाणवी अंदाज मैं आगे तूं-तड़ाक पर बात पहोंचगी। दूसरे घरां आले मजा लेरे उनके झगड़े का। इतनी वार मैं एक बुजुर्ग जो उनके घरां मैं उनका दादा लागै था आया इनके घरां अर बोल्या- के बात सै रै नफे? इतनी रात गये क्यों इतना रोल्ला मचा राख्या सै गैर बख्त। नफे नै पूरी बात बताई अक कमला कहवै सै अक मैं बालक नै डाक्टर बनाउंगी अर मैं न्यों कहूं सूं अक मैं बालक नै वकील बनाउंगा। इस बात पर झगड़ा होरया सै। दादा बनारसी नै एक मिन्ट लाकै पूरी बात समझी अर फेर सोच कै बोल्या—इसमैं झगड़े की के बात सै? थाम उस बालक नै बुलाओ अर उसे तै बूझ ल्यो नै अक ओ के बनना चाहवै सै- वकील अक डाक्टर? बुलाओ बालक नै। नफे एकदम बोल्या- दादा बालक ईब्बै हुयाए कित सै। छटा महीना सै। दादा बनारसी बोल्या—फेर क्यों राई का पहाड़ बना राख्या सै। म्हारे बरगे अनपढ़ इसी बात करैं तो समझ मैं आ सकै सै। फेर थारे बरगे पढ़े-लिखे बी इसी बात करैं सें तो के कहया जा सकै सै? आई किमै समझ मैं अक नहीं?मतलब यू सै अक गोत के गोत मैं अर गाम की गाम मैं ब्याह का मामला सै ए कित? यू इतना काटकड़ तार राख्या खामैखा।
स्यापा कर राख्या सै अक हाए नाश होग्या। यो गोत की गोत मैं ब्याहां का धर्राटा उठ लिया। नाश होलिया जाट कौम का। तावले हिन्दू मैरिज एक्ट मैं एमैंडमैंट करवाओ। घणखरी पार्टी बी आगी बहकावे मैं। यो बात का बतंगड़ नहीं तो और के सै? आसंडा, जौन्धी, ढऱाना, लाडावास और इसे ए 40-50 केसां मा तैं गोत की गोत का एक केस सै। बाकी सारे दो गोतां के बीच के झगड़े सैं कै दो जात्यां के बीच के प्रेम-विवाह के रगड़े सैं। इसै एक अपवाद तै इतनी बहादर कौम इतना घबरागी? सारा जग जानै सै इस बात नै अक गोत की गोत मैं शादी करना लोग पसन्द कोन्या करते म्हारे इलाके मैं। अखबारां के सर्वे बी याहे बात कहवैं सैं तो फेर इन पंचातियां के पेट मैं इतना करड़ा दर्द क्यों होरया सै? कोए बी बूझनिया कोन्या इस हरियाणे मैं इनतै? गोत के गोत मैं ब्याह का बतंगड़ बना कै काम कोन्या चालै। राई का पहाड़ बना दिया अर असली पहाड़ बरगी सामाजिक बुराई महिला भ्रूण हत्या हमनै दीखती ए कोन्या। इसतै मुंह मोड़ कै मामला एक अपवाद की तरियां म्हारे साहमी आया सै अर यों इसे तरियां देख्या जाना चाहिये। दूसरी कौमां मैं बी इसे अपवाद आत्ते रहवैं सैं फेर उड़ै तो नौजवान बालकां के कत्ल नहीं करे जात्ते। एक बर कूपमंडुकता का खोल छोड़ कै आस पास देखना चाहियें हमनै। बिना बात का भाज्जण लागरे।
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