Friday, November 11, 2011

नई लहर

नई लहर



सुनो म्हारी पुकार ,मत करो इंकार ,होवां सब त्यार


नई लहर चलानी सै जरूर


महंगाई नै कसूता वार किया , यो मजदूर किसान मार दिया


सै पक्की बैरी म्हारी ,नाश करैगी भारी ,जिंदगी होगी खारी


इंकि काट बिछानी सै जरूर


सब्सिडी म्हारी ख़तम करैं देखो , अपने घरां नै रोज भरैं देखो


धरती बिकती जा ,जिंदगी धिकती जा, या साँस रूकती जा


किसानी तो बचानी सै जरूर



भ्रष्टाचार नै सीम लांघ दी रै , शर्म खूंटी ऊपर टांग दी रै

बीस मौज करते,अस्सी पानी भरते , तीस भूखे मरते

भूख गरीबी मिटानी सै जरूर

मजदूर कै टोटा घर करग्या , दो किल्ले आला जमा मरग्या

बिना संगठन भाई ,या बैरी की मंजाई, मुश्किल सै बताई

अस्सी की यारी बनानी सै जरूर

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