Sunday, November 6, 2011

WHY WE FORGOT ARYA BHATT

आर्य भट्ट क्यों भुला दिया
रमलू ठमलू नफे कविता सविता इतवार की ? नफे बोल्या- के रहया भाई। छोरा छोरी का तो बेरा नहीं पाट लिया। पंचायत नै दोनूं घरां का होका पानी बन्द कर दिया अर पिटाई करी। दोनूं घर गाम छोड़गे। सरिता बोली- फेर न्यूं गाम की गाम मैं क्यूकर काम चालैगा?सविता बोली-चौटाला गाम मैं जिब गाम की गाम मैं ब्याह होवण लागरे तो म्हारे गामां में बी तो 10-10 अर 15 -15 गोत होगे हरेक गाम मैं तो आड़ै गाम की गाम मैं ब्याह क्यों नहीं हो सकदा? षहर के षहर के षहर मैं तो ब्याह हो सकै सै फेर गाम के गाम मैं नहीं हो सकदा?ठमलू बोल्या-बात तो विचार करण की सै। जिस बात नै आपां इतनी घटिया मानां सां उसे बात नै करणिया गााम नै दो दो मुख्यमंत्री अर एक डिप्टी प्राइम मिनिस्टर दिया सै। सांघी गाम मैं बी बताया एक मिर्जापुर खेड़ी अर सांघी के बालकां नै ब्याह कर लिया थ बड्डे स्याणा नै बीच बिचाव करकै बालक फांसी नहीं टूटण दिये थे। वे दोनूं एच ए यू मैं बढ़िया जिन्दगी गुजारण लागरे सैं। इस गाम नै बी एक चीफ मिनिस्टर अर एम पी अर एम एल ए दिए सैं। पुरानी परम्परावां पर बी आज नये समों के हिसाब तै हटकै सोच्चण की जरुरत तो सै। बहोत सी पुरानी चीज जो हमनै नहीं छोड़नी चाहियें थी वे तो हमनै छोड़ दी अर जो छोड़ देनी चाहियें थी इनकी आपां ईब्बी जफी पारे सां। रमलू बोल्या कौनसी परम्परा भूलगे?सविता बोली- स्वयम्बर तै ब्याह करया था दमयन्ती नै राजा नल के गल मैं माला घाल कै। राम नै धनुश तोड़ कै सीता को वरया था। आज अपनी मरजी तै ब्याह करण आल्यां ताहिं फांसी का फरमान। पहलम आले भोजन विज्ञान नै बहोत पौश्टिक बताये। फेर हम तो भूलगे बाजरे की रोटी, गोजी अर खिचड़ी का स्वाद, राबड़ी, काली जाम्मन,पीहल, चने भ्ूान कै होले बना कै खाना भुलगे, गुड़ खाना भुलगे,डण्ड बैठक काढ़ना भुलगे अर आर्य भट्ट नै बी भुलगे। नफे- बात तो सही सैं फेर जमाना बदलग्या तो रंग याहे सबतै बड्डी कमजोरी सै म्हारी। आर्यभट्ट प्राचीन भारत का पहला गणितज्ञ ज्योतिशी था जिसनै पूरी दुनिया ताहिं जीरो का ज्ञान दिया। उसकी इसतै बी बड्डी बात या थी अक उसनै भू भ्रमण का सिद्वान्त सबतै पहलम भारत मैं दिया। प्राणी था।नफे बोल्या होगा इसका म्हारे तै के लेना देना? रमलू बोल्या-यू ए तो रोला सै। हम प्राचीन संस्कृति , प्राचीन परम्परा की बात करां अर उसके बारे मैं जानकारी जीरो होतै हमनै कोए बी भका सकै सै इस पुरानी परम्परा के नाम पै। अर और बी दिलचस्प बात उसके बारे मैं यासे अक जो कुछ आर्य भट्ट नै अपनी किताब मैं लिख्या उसनै तरोड़ मरोड़ कै पेया करण की बहोत कोषिष करी गई। आर्य भट्ट के ग्रन्थ मैं जड़ै जडै़ भू अर कु -पृथ्वी षब्द थे उड़ै उड़ै वे भं-तारामंडल-मैं बदल दिये। दूसरी बात या सै अक इसके ग्रंथ की हस्तलिपियां  देया के अधिक्तर भगां मैं तै गायब कर दी गई। उसका जिकरा दूसरे बुद्विजीवियां ने बी करना बन्द कर दिया। लोक भय के कारण भास्कर प्रथम अर दूसरे बुद्विजीवियां नै भी आर्य भट्ट के सिद्वान्तां की व्याख्या भिन्न प्रकार तै करी। सोच्चण की बात सै अक यो लोकभय किन लोगां का था?यू भय समाज के उस हिस्से का था जिसके हित साधन मैं आर्य भट्ट का भू-भ्रमण का सिद्वान्त बाधक बणकै खड़या होग्या था। यू वर्ग था पुरोहित वर्ग,जिसका हित वेदां,धर्मषास्त्रां ,पुराण पोथियों के वचनां की रक्षा की साथ जुड़या औड़ था। आर्यभट्ट का नया भू- भ्रमण का सिद्वान्त पुरानी मान्यताओं का खंडन करै था।वेदां के अर धर्मषास्त्र के हवाले देकै‘अचला’ मतलब ‘पृथ्वी’
का जो लोक विष्वास कायम करया गया था उसन टिकाये राखण मैं सबतै फालतू हित पुरोहित वर्ग का था। प्रभावषाली समाज का तबका लमकै विरोध करया। यूरोप मैं आर्यभट्टके सिद्वान्त का प्रचार हुया अर उड़ै कोपरनिक्स का सूर्य केन्द्र सिद्वान्त भी उभर कै आया अर ब्रूनो नाम के बुद्विजीवी नै घूम घूम कै यूरोप के नगरां मैं इसका प्रचार करया। रोम के इसाई धर्माचार्यां के हुकम तै 1600 मैं ब्रुनो को जिन्दा जला दिया गया। आर्यभट्ट के सिद्वान्त का भारत मैं विरोध अर यूरोप मैं ब्रूनो का जलाया जाना एकै बात सै। आया किमै समझ मैं परम्परा का खेल?

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