Saturday, January 19, 2013

कम्पीटीसन बेशर्मी का

चौखी चुभती 

   कम्पीटीसन  बेशर्मी  का 
कम्पीटीसन तै बड़े बड़े देखे अर सुने पर इस बबाल का नाम कदे नहीं सुण्या  था । रागनी कम्पीटीसन , ब्यूटी कम्पीटीसन , पी ऍम टी कम्पीटीसन,तै खूब मशहूर हुए अर इन कम्पीटीसनां  की देखा देखी म्हारे देश के नेतावां नै  भी बेशर्मी का कम्पीटीसन शुरू कर दिया दिल्ली मैं । टी वी पै इसका सीधा प्रसारण होवै  सै अर जनता बिचारी नै चुपचाप होकै देखना पड़रया सै । रागनी कम्पीटीसन  मैं तो जै कोए रागनी आछी ना लागै तो हूँ हूँ कर कै गावानिया नै जनता बिठा बी दे , पर इन फुफ्याँ का के करै ? बेशर्मी के ट्रेलर तै पहलडे नेता बी दिखा दिया करैं थे कदे कदे पर वे शर्मा बी तावले ऐ जाया करते । फेर इस एक साल मैं इब आली सर्कार नै तो सारी ऐ शर्मोहया खूंटी पै इतनी ऊंची  टाँग  दी अक कोए तारना चाहवै  तो भी नहीं तार सकदा । घोटालयां पै  घोटाले पर कोए फिकर नहीं । दुसरे की पार्टी के नेता का घोटाला तो सही अर अपनी पार्टी के नेता का घोटाला फर्जी इल्जाम । कस्सोता कम्पीटीसन माच्र रया सै घोटाल्याँ  का । इसे कर कै लगै सै अक रागनी कम्पीटीसन बंद होगे अर पाले सते मास्टर सतबीर रणबीर 
बणवासनिया ये सब बेरोजगार होगे ।  

Thursday, January 17, 2013

Bahoo falane kee


sachi bat kadvee lagai


दो बेरोजगार

दो बेरोजगार
बहोत आसान है मेरी जिन्दगी की सटीक समीक्षा करना । बहुत आसान है मेरी जिन्दगी के प्रति मन से करूणा दिखाना । बहोत आसान है मेरी जिन्दगी की सही तरफ दारी करना। बहोत आसन है मेरी जिन्दगी के प्रति असल में आंसूं  बहाना ।मगर बहोत मुस्किल है मेरी जिन्दगी जीना ।स्कूल से आगे बढ़कर कालेज जाना होगा मनै  इसके सपने बहोत बार देखे थे  ।कोंनसे कालेज में दाखिला हो यह भी कई बार सोचा था मैंने ।एक साल पहले सोचना शुरू किया कि  पहले दिन का पहनावा क्या होगा मेरा कालेज में ? हेयर स्टायल पर भी नजर डाली थी । सोचा क्या साईकिल पर ही मुझे कालेज जाना होगा हर रोज ?  या फिर घरवाले सैकिंड हैण्ड स्कूटर का ही जुगाड़ कर देंगे ।घर की हालत जुगाड़ की बी कडै  थी। या बात नहीं मेरे भेजे भीतर  बडै थी ।इसे उधेड़ बुन मैं पूरा का पूरा दिन इस जुगाड़ बाजी के चकर मैं गुजर जान्ता ।आखिर एक दिन पांच सात लोग आये  थे म्हारे घर मैं । उनकी बहोत आव भगत हुयी थी । उन लोगां  नै मेरे तैं  भी भुझ्या -- बेटी कोनसी कलास पास करी सै ।? दूसरा सवाल था उनका -- कितने नंबर आये ? मनै नीची आवाज मैं अपने नंबर बता दिए थे ।उनकी नजरें मनै घूरती सी महसूस हुयी ज्यूकर बकरे नै उसके मारण तैं पहलम कसाई उसने अपनी नजरां महां कै काढ्या करै इसे ढाल  का  माहौल सा लाग्या मनै । इसके बाद कसाई बकरे नै हलाल कर दिया करै । मनै के बेरा  था अक मेरा भी हलाल होवन का बख्त आ लिया । अर एक दिन एक मिहने बाद ही मेरी शादी कर दी गयी एक और बेरोजगार की साथ ।दो बेरोजगारों की दुनिया के सपने क्या थाम सोच सको सो किसे होवैंगे ? हमने बी सोचन की कोशिश करी थी  खूब ।फेर मैं नहीं सोच पाई अर ना कुछ देख पाई क्योंकी अँधेरे के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देरया  था । दो एकड़ से भी कम जमीन थी । भूखे घर की आगी हम के करै? ये दिन देखन की खातिर के छोरे ताहीं जनम दिया था ?दायें बाएं तैं घर  अल्याँ  तें  यो  सब सुनन नै मिल्या  करता । उस बख्त बेरा  लगया अक सप्न्याँ मैं और हकीकत मैं कितना फरक हुआ करै ।प्यार मोहब्बत बेहतर जिन्दगी सब अतीत की बातें थी ।घर बी तंग सा था बस दो ए कमरे थे । साथ मैं भैंस अर बछिया का भी सहवास था चौबीस घंटे का ।समझ सके सै कोये बी अक दो   कमरयाँ  मैं छह सात सदस्यों के परिवार का क्यूकर गुजारा  होंता होगा ? कित  फुर्सत हो सै एक दुसरे की खातर । चोरां की तरियां मुलाकात होवें अपने ऐ घर मैं । बुरा जीवन घिसट  रह्या  सै   । एक दिन सोच्या इस नरक से कैसे छुटकारा मिलै ? फेर उस नै ताश खेलन तैं फुर्सत कित  सै ? घर खेत हाड तोड़ मेहनत और कसूते तान्ने । या हे तो जिन्दगी सै महारे बर्गे करोड़ों युवक अर युवतीयां की भारत देश महान मैं ।कदे कदे जीवन लीला को ख़तम करने का दिल करता है फिर ख्याल आता है अक इस ते के होगा ?क्यां तैं होगा ? योहे तो सवाल है सब तै बडा अक सही रास्ता के सै ?
रणबीर 

Friday, January 11, 2013

लिंग और जाति
अपने अस्तितत्व की रक्षा के लिए इंसान को कुछ उत्पादों की जरूरत होती है जिन्हें वह प्रकृति में उपलब्ध विभिन्न पदार्थों पर तरह तरह के श्रम करके प्राप्त करता है । जानवरों-इंसानों के बीच मौलिक अंतर 'श्रम निष्पादन ' होता है । इंसान कुदरती तौर पर उपलब्ध जमीन का इस्तेमाल करता है और ऐसी चीजें और ऐसी जिन्सें पैदा करता है जो उसके जिन्दा रहने के लिए आवश्यक हैं ।'श्रम'करने की इस प्रक्रिया में इंसान 'उत्पादन सम्बन्ध ' या 'श्रम सम्बन्ध ' बनाता  है । अगर सरे इंसान 'श्रम' करें तो 'श्रम सम्बन्ध ' सामान होते हैं । लेकिन जब सिर्फ कुछ ही लोग 'श्रम 'करते हैं और शेष कोई कम नहीं करते तो 'श्रम सम्बन्ध ' ' असमानता के सम्बन्ध होते हैं । यानि श्रम के शोषण की बदौलत एक वर्ग किसी तरह का श्रम नहीं करता , जबकि दूसरा वर्ग श्रम करता है । वह वर्ग जो श्रम नहीं करता , जमीन और श्रम के दुसरे तमाम साधन उसकी निजी संपत्ति होते हैं । वह वर्ग सम्पति का स्वामी हो जाता है । सम्पति विहीन वर्ग 'श्रमिक वर्ग 'बन जाता है । इतिहास के पहले वर्ग थे --दास और स्वामी ।दास और दास स्वामियों के समय से ही वर्ग संघर्ष शुरू हो गया । वर्ग सघर्ष ने ही दासों को दासता से मुक्ति दिलाई । लेकिन वह वर्ग संघर्ष मजदूरों को श्रम के शोषण से मुक्ति नहीं दिला सका। आज मजदूर और पूंजीपति दो वर्ग हैं । हमें सामंती जागीरदार और किसान जैसे तबके भी नजर आते हैं । शोषक वर्ग तीन तरह से होने वाली आय पर जीते हैं । यह आय उनके अपने श्रम का नतीजा नहीं होती ,बल्कि जमीन के किराये और उनकी पूंजी के ब्याज से होती है । श्रमिक वर्ग अपने श्रम का बड़ा हिस्सा स्वामी वर्ग के हाथों खो देता है । श्रम के शोषण की समस्या की वजह से मानव जाति  के बीच मालिक और नौकर का भेद (असमानता ) पैदा होता है । शोषक वर्ग धन सम्पति अर्जित करता चला जाता है और श्रमिक वर्ग गरीबी से झूझता रहता है । इसका अर्थ यह है कि धन वैभव , स्वामित्व और दासता श्रम के शोषण का नतीजा हैं । इस समस्या का हल यह है कि वर्ग संघर्ष के जरिये निजी सम्पति के अधिकार निरस्त कर दिए जाएँ और प्रभुत्व वर्ग को अपने श्रम पर जीने पर विवस किया जाये ।\
लिंग और जाति के सवाल की व्याख्या स्वीकारने के लिए व्यक्ति के 'श्रम' से जुड़े विभिन्न पहलुओँ  को समझना जरूरी है , मसलन उत्पादन संबंधों ,सम्पति संबंधों , श्रम विभाजन , वितरण संबंधों , मूल्य , धन ,बेसी मूल्य ,शारीरिक श्रम,मजदूरी , जमीन की लगान , उत्पादक श्रम,अनुत्पादक श्रम,स्वतंत्र मक्ज्दूर घरेलू मजदूर वगैरह ।

Monday, January 7, 2013

CONCEPT OF PURITY OF GOTRA BOOD IS A MYTH


हमारे गोत्र के खून की शुद्धता के बारे मैं  यह सच है कि वैज्ञानिक नजर से 15 पीढ़ियों के बाद हमारे खून में
 
BLOOD OF MANY GOTRAS IS THERE| IF WE WANT TO CARE FOR CONGENITAL DEFECTS IN OUR CHILDREN THEN INTERCASTE MARRIAGES ARE BEST ANSWER

Hooda + Dahiya --Child-1--2 gotra/ dangi+ sehrawat--Child-1--2 gotra/ Child--1+Child--1 marry=Child--2have 4 gotra+ child--2 - from other swries/ marry and Child--3 will have--8 gotra and child =3 from other series have 8 gotra/ child 4( 4th peedhi) will have 16 gotra and marry child--4 of other series then Child--5 will have 32 gotra and marry child--5 of other series having 32 gotras/ Child --6 will have 64 gotra and marry child --5 having 64 gotra/ Child--6 will have 128 gotras and marry child --6 havng 128 gotras/ Child--7 will have 256 gotras and marry child--7 having 256 gotras/ Child --8 will have 512 gotras and marry child --8 of other series having 512 gotras/ Child--9 will have 1024 gotras and marry Child --9 of other series having 1024 gotras/ Child--10 -will have 2048 gotras and marry child--10 of other series having 2048 gotras/ Child--11 will have 4096 gotras and marry child --11 of other gotras/ Child --12 will have 8192 gotras and marry Child --11 of other series having 8192 gotras/ Child--12 will have 16 384 gotras and marry Child --12 of other series / Child 13 will have 32684 gotras and marry Child -- 13 of other series having 32684 gotras/ Child-- 14 will have 65368 gotras and marry Child--14 of other series having 65368 gotras/ Child--15 will have 130736 gotras and so on -

Sunday, January 6, 2013

हमारा गोत्र कितना शुद्ध है

EK GAJAL BALBIR RATHEE JI KEE

बलबीर सिंह राठी जी की ek gajal
अब हालत बदलने होंगे ग़म का बोझ उठाने वाले |
वरना देते ही जायेंगे दुःख दिन रात ज़माने वाले |
मजलूमों को बाँट रहे हैं जुल्म का खेल रचाने वाले 
इस साजिस ही में शामिल हैं वे नफरत फ़ैलाने वाले |
दुनिया पर कब्ज़ा है जिन का वो उस के हक़दार नहीं हैं 
उनसे अब कब्ज़ा छीनेंगे  सब का बोझ उठाने वाले |
पत्थर दिल लोगों से अपने जख्मों को ढांपे ही रखो
खुद को हल्का कर लेते हैं सबको जख्म दिखाने वाले |
कोई किसी का साथ निभाए इतनी फुर्सत ही किसको है 
अफसानों में मिल सकते हैं अब तो साथ निभाने वाले |
खुदगरजे की बस्ती में भी कौन तुझे हमदर्द मिलेगा 
इन लोगों को अपने ग़म की हर रूदाद सुनाने वाले |
बेसब्रे पां से तो अक्सर बांटे काम बिगड़ जाते हैं 
धागों को उलझा देते हैं जल्दी में सुलझाने वाले |
जंग अभी लम्बी चलनी है  राहों में सुस्ताना कैसा 
कब आराम किया करते हैं , जुल्मों से टकराने वाले |
मण्डी की तहजीब में यारो ! मक्कारी ही काम आती है 
साच को अच्छा क्यों मानेंगे झूठ से काम चलाने वाले |
मैं जब उनके पास गया था तब मुझ को मालूम नहीं था 
छोड़ के दूर चले जायेंगे मुझ को पास बुलाने वाले |
'राठी" जी तो दीवाने हैं , उन से रूठ के कैसे जाएँ 
उन की सूनी सी आँखों में उजले ख्वाब सजाने वाले |

Wednesday, January 2, 2013

aaj ke daur kee chunoti

सामंती विचार को , असली आधुनिकता को, और विकृत आधुनिकता को समझ कर ही किसी नैतिक मुद्दे को सही ढंग से समझा जा सकता है । सामंती विचार विकृत आधुनिकता की आड़ में अपने को प्रासंगिक ठहराता आया है । सामंती सड़ांध और पूंजीवादी सड़ांध का मुकाबला आधुनिक विचार से ही हो सकता है ।
रणबीर 

beer's shared items

Will fail Fighting and not surrendering

I will rather die standing up, than live life on my knees:

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