Thursday, January 17, 2013

दो बेरोजगार

दो बेरोजगार
बहोत आसान है मेरी जिन्दगी की सटीक समीक्षा करना । बहुत आसान है मेरी जिन्दगी के प्रति मन से करूणा दिखाना । बहोत आसान है मेरी जिन्दगी की सही तरफ दारी करना। बहोत आसन है मेरी जिन्दगी के प्रति असल में आंसूं  बहाना ।मगर बहोत मुस्किल है मेरी जिन्दगी जीना ।स्कूल से आगे बढ़कर कालेज जाना होगा मनै  इसके सपने बहोत बार देखे थे  ।कोंनसे कालेज में दाखिला हो यह भी कई बार सोचा था मैंने ।एक साल पहले सोचना शुरू किया कि  पहले दिन का पहनावा क्या होगा मेरा कालेज में ? हेयर स्टायल पर भी नजर डाली थी । सोचा क्या साईकिल पर ही मुझे कालेज जाना होगा हर रोज ?  या फिर घरवाले सैकिंड हैण्ड स्कूटर का ही जुगाड़ कर देंगे ।घर की हालत जुगाड़ की बी कडै  थी। या बात नहीं मेरे भेजे भीतर  बडै थी ।इसे उधेड़ बुन मैं पूरा का पूरा दिन इस जुगाड़ बाजी के चकर मैं गुजर जान्ता ।आखिर एक दिन पांच सात लोग आये  थे म्हारे घर मैं । उनकी बहोत आव भगत हुयी थी । उन लोगां  नै मेरे तैं  भी भुझ्या -- बेटी कोनसी कलास पास करी सै ।? दूसरा सवाल था उनका -- कितने नंबर आये ? मनै नीची आवाज मैं अपने नंबर बता दिए थे ।उनकी नजरें मनै घूरती सी महसूस हुयी ज्यूकर बकरे नै उसके मारण तैं पहलम कसाई उसने अपनी नजरां महां कै काढ्या करै इसे ढाल  का  माहौल सा लाग्या मनै । इसके बाद कसाई बकरे नै हलाल कर दिया करै । मनै के बेरा  था अक मेरा भी हलाल होवन का बख्त आ लिया । अर एक दिन एक मिहने बाद ही मेरी शादी कर दी गयी एक और बेरोजगार की साथ ।दो बेरोजगारों की दुनिया के सपने क्या थाम सोच सको सो किसे होवैंगे ? हमने बी सोचन की कोशिश करी थी  खूब ।फेर मैं नहीं सोच पाई अर ना कुछ देख पाई क्योंकी अँधेरे के सिवाय कुछ दिखाई नहीं देरया  था । दो एकड़ से भी कम जमीन थी । भूखे घर की आगी हम के करै? ये दिन देखन की खातिर के छोरे ताहीं जनम दिया था ?दायें बाएं तैं घर  अल्याँ  तें  यो  सब सुनन नै मिल्या  करता । उस बख्त बेरा  लगया अक सप्न्याँ मैं और हकीकत मैं कितना फरक हुआ करै ।प्यार मोहब्बत बेहतर जिन्दगी सब अतीत की बातें थी ।घर बी तंग सा था बस दो ए कमरे थे । साथ मैं भैंस अर बछिया का भी सहवास था चौबीस घंटे का ।समझ सके सै कोये बी अक दो   कमरयाँ  मैं छह सात सदस्यों के परिवार का क्यूकर गुजारा  होंता होगा ? कित  फुर्सत हो सै एक दुसरे की खातर । चोरां की तरियां मुलाकात होवें अपने ऐ घर मैं । बुरा जीवन घिसट  रह्या  सै   । एक दिन सोच्या इस नरक से कैसे छुटकारा मिलै ? फेर उस नै ताश खेलन तैं फुर्सत कित  सै ? घर खेत हाड तोड़ मेहनत और कसूते तान्ने । या हे तो जिन्दगी सै महारे बर्गे करोड़ों युवक अर युवतीयां की भारत देश महान मैं ।कदे कदे जीवन लीला को ख़तम करने का दिल करता है फिर ख्याल आता है अक इस ते के होगा ?क्यां तैं होगा ? योहे तो सवाल है सब तै बडा अक सही रास्ता के सै ?
रणबीर 

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