जनता की जनवादी सरकार का सपना
1. राज्य की संरचना के क्षेत्र में :-
देश में बसने वाली विभिन्न जातीयताओं की स्वायतता और वास्तविक समानता के आधर पर ]भारतीय संघ की एकता की हिफाजत करने तथा उसे आगे बढाने के लिए और राज्य की ऐसी संघात्मक जनवादी संरचना के लिए काम करना जरूरी पक्ष बनता है । इस काम की रूपरेखा इस प्रकार होनी चाहिए मगर आप भी अपने सुझाव दे सकते हैं :-
a . जनता प्रभु सत्ता संपन्न है । राजसत्ता के सभी अंग ,जनता के प्रति उत्तरदायी होंगे । राज्य की सर्वोतम सत्ता जन -पेतिनिधियों के हाथ में होगी, जो व्यस्क मताधिकार और आनुपातिक प्रतिनिधत्व के सिद्धांत के आधार पर चुने जायेंगे और जिन्हें निर्वाचकों द्वारा वापस बुलाया जा सकेगा । अखिल भारतीय केंद्र के स्तर पर दो सदन होंगे --लोकसभा और राज्य सभा । महिलों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जायेगा ।
b. भारतीय संघ में सभी प्रदेशों को वास्तविक स्वयातता तथा समान अधिकार प्राप्त होंगे । जनजातीय क्षेत्रों को अथवा उन अंचलों को , जिनकी आबादी का एक विशिष्ट उपजातीय संयोजन है और जिनकी अपनी विशिष्ट सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियाँ हैं , संबंधित प्रदेश के अंतर्गत स्वायतता दी जायेगी तथा विकास के लिए पूरी मदद मुहैया कराई जायेगी ।
c .प्रदेशों के स्तर पर उच्च सदन नहीं होंगे । न ही प्रदेशों में ऊपर से राज्यपाल नियुक्त किये जायेंगे । सभी प्रशासनिक सेवाएँ संबंधित प्रदेशों अथवा स्थानीय सत्ताओं के सीधे नियंत्रण में होंगी । प्रदेश ,सभी भारतीय नागरिकों के साथ समान व्यवहार करेंगे तथा जाति] लिंग] क्षेत्र ] सम्प्रदाय तथा जातीयता के आधर पर कोई भेद भाव नहीं किया जायेगा ।
d . संसद और केन्द्रीय प्रशासन में,सभी राष्ट्रीय भाषाओँ की समानता को मान्यता दी जायेगी । संसद सदस्यों को अपनी जातीय भाषा में बोलने का अधिकार होगा तथा अन्य भाषाओँ में साथ साथ अनुवाद की व्यवस्था होगी ।सभी कानून, सरकारी आदेश और प्रस्ताव , सभी भाषाओँ में उपलब्ध कराये जायेंगे । दूसरी सभी भाषाओँ को छोड़कर , एकमात्र सरकारी भाषा के रूप में हिन्दी का उपयोग अनिवार्य नहीं बनाया जायेगा । सभी भाषाओँ को समानता प्रदान करके ही, इसे पूरे देश में संपर्क की भाषा के रूप में स्वीकार्य बनाया जा सकता है । तब तक , हिन्दी और अंगरेजी के इस्तेमाल की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी । शिक्षण संस्थाओं में, उच्चतम स्तर तक मातृ भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का जनता का अधिकार सुनिश्चित किया जायेगा । हरेक भाषायी प्रदेश की अपनी भाषा का , तमाम सार्वजनिक व् राजकीय संस्थाओं में उपयोग भी सुनिश्चित किया जायेगा । अल्पसंख्यक समूह या अल्पसंख्यक समूहों की या जहाँ जरूरी हो किसी क्षेत्र विशेष की भाषा को , प्रदेश में अतिरिक्त भाषा का दर्जा देने की व्यवस्था होगी । उर्दू भाषा और इसकी लिपि को संरक्षण दिया जायेगा ।
e. जनता की जनवादी सरकार आर्थिक ,राजनैतिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में ,संघटक प्रदेशों के बीच तथा विभिन्न प्रदेशों की जनता के बीच , पारस्परिक सहयोग को पोषित कर और बढ़ावा देकर , भारत की एकता को मजबूत बनाने के के लिए कदम उठाये जाने होंगे । जातीयताओं , भाषाओँ और संस्कृतियों की विविधताओं का आदर किया जायेगा और विविधता में एकता की नीतियां लागू की जायेंगी । वह आर्थिक दृष्टि से पिछड़े व् कमजोर प्रदेशों ,अंचलों और क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना होगा तथा उन्हें वितीय व् अन्य सहायता देनी होगी ताकि पिछड़ापन तेजी से दूर करने में, उन्हें मदद मिल सके ।
f . जनता का जनवादी राज्य स्थानीय प्रशास न के क्षेत्र में, सबसे नीचे गाँव से लेकर ऊपर तक ऐसे स्थानीय निकायों का व्यापक नेटवर्क खड़ा करेगा , जिनका सीधे जनता द्वारा चुनाव होगा और जिनके हाथ में पर्याप्त सत्ता व् जिम्मेदारियां होंगी और जिन्हें पर्याप्त वितीय संसाधन दिए जायेंगे । स्थानीय निकायों के सक्रिय कामकाज में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के सभी प्रयास किये जाएँ ।
भाग --1--जारी है
1. राज्य की संरचना के क्षेत्र में :-
देश में बसने वाली विभिन्न जातीयताओं की स्वायतता और वास्तविक समानता के आधर पर ]भारतीय संघ की एकता की हिफाजत करने तथा उसे आगे बढाने के लिए और राज्य की ऐसी संघात्मक जनवादी संरचना के लिए काम करना जरूरी पक्ष बनता है । इस काम की रूपरेखा इस प्रकार होनी चाहिए मगर आप भी अपने सुझाव दे सकते हैं :-
a . जनता प्रभु सत्ता संपन्न है । राजसत्ता के सभी अंग ,जनता के प्रति उत्तरदायी होंगे । राज्य की सर्वोतम सत्ता जन -पेतिनिधियों के हाथ में होगी, जो व्यस्क मताधिकार और आनुपातिक प्रतिनिधत्व के सिद्धांत के आधार पर चुने जायेंगे और जिन्हें निर्वाचकों द्वारा वापस बुलाया जा सकेगा । अखिल भारतीय केंद्र के स्तर पर दो सदन होंगे --लोकसभा और राज्य सभा । महिलों का समुचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जायेगा ।
b. भारतीय संघ में सभी प्रदेशों को वास्तविक स्वयातता तथा समान अधिकार प्राप्त होंगे । जनजातीय क्षेत्रों को अथवा उन अंचलों को , जिनकी आबादी का एक विशिष्ट उपजातीय संयोजन है और जिनकी अपनी विशिष्ट सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिस्थितियाँ हैं , संबंधित प्रदेश के अंतर्गत स्वायतता दी जायेगी तथा विकास के लिए पूरी मदद मुहैया कराई जायेगी ।
c .प्रदेशों के स्तर पर उच्च सदन नहीं होंगे । न ही प्रदेशों में ऊपर से राज्यपाल नियुक्त किये जायेंगे । सभी प्रशासनिक सेवाएँ संबंधित प्रदेशों अथवा स्थानीय सत्ताओं के सीधे नियंत्रण में होंगी । प्रदेश ,सभी भारतीय नागरिकों के साथ समान व्यवहार करेंगे तथा जाति] लिंग] क्षेत्र ] सम्प्रदाय तथा जातीयता के आधर पर कोई भेद भाव नहीं किया जायेगा ।
d . संसद और केन्द्रीय प्रशासन में,सभी राष्ट्रीय भाषाओँ की समानता को मान्यता दी जायेगी । संसद सदस्यों को अपनी जातीय भाषा में बोलने का अधिकार होगा तथा अन्य भाषाओँ में साथ साथ अनुवाद की व्यवस्था होगी ।सभी कानून, सरकारी आदेश और प्रस्ताव , सभी भाषाओँ में उपलब्ध कराये जायेंगे । दूसरी सभी भाषाओँ को छोड़कर , एकमात्र सरकारी भाषा के रूप में हिन्दी का उपयोग अनिवार्य नहीं बनाया जायेगा । सभी भाषाओँ को समानता प्रदान करके ही, इसे पूरे देश में संपर्क की भाषा के रूप में स्वीकार्य बनाया जा सकता है । तब तक , हिन्दी और अंगरेजी के इस्तेमाल की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी । शिक्षण संस्थाओं में, उच्चतम स्तर तक मातृ भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का जनता का अधिकार सुनिश्चित किया जायेगा । हरेक भाषायी प्रदेश की अपनी भाषा का , तमाम सार्वजनिक व् राजकीय संस्थाओं में उपयोग भी सुनिश्चित किया जायेगा । अल्पसंख्यक समूह या अल्पसंख्यक समूहों की या जहाँ जरूरी हो किसी क्षेत्र विशेष की भाषा को , प्रदेश में अतिरिक्त भाषा का दर्जा देने की व्यवस्था होगी । उर्दू भाषा और इसकी लिपि को संरक्षण दिया जायेगा ।
e. जनता की जनवादी सरकार आर्थिक ,राजनैतिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में ,संघटक प्रदेशों के बीच तथा विभिन्न प्रदेशों की जनता के बीच , पारस्परिक सहयोग को पोषित कर और बढ़ावा देकर , भारत की एकता को मजबूत बनाने के के लिए कदम उठाये जाने होंगे । जातीयताओं , भाषाओँ और संस्कृतियों की विविधताओं का आदर किया जायेगा और विविधता में एकता की नीतियां लागू की जायेंगी । वह आर्थिक दृष्टि से पिछड़े व् कमजोर प्रदेशों ,अंचलों और क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देना होगा तथा उन्हें वितीय व् अन्य सहायता देनी होगी ताकि पिछड़ापन तेजी से दूर करने में, उन्हें मदद मिल सके ।
f . जनता का जनवादी राज्य स्थानीय प्रशास न के क्षेत्र में, सबसे नीचे गाँव से लेकर ऊपर तक ऐसे स्थानीय निकायों का व्यापक नेटवर्क खड़ा करेगा , जिनका सीधे जनता द्वारा चुनाव होगा और जिनके हाथ में पर्याप्त सत्ता व् जिम्मेदारियां होंगी और जिन्हें पर्याप्त वितीय संसाधन दिए जायेंगे । स्थानीय निकायों के सक्रिय कामकाज में जनता की भागीदारी सुनिश्चित करने के सभी प्रयास किये जाएँ ।
भाग --1--जारी है
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