Monday, December 24, 2012

नया साल

नया साल 
नए साल की मुबारक खास रिवाज बन गया 
अमीर गरीब सबकी एक आवाज बन गया 
एक कदम आगे मगर दो कदम पीछे गए 
पुराने दोस्त भुलाकर ढूंढें है कई दोस्त नए 
वातावरण और ख़राब इस साल किया गया 
महिलाओं को अपमान बढ़ा चढ़ा दिया गया 
विज्ञानं और तकनीक से मजदूरों को चूस 
काला धन खूब कमाया दे दे के नेता को घूस
मानवता का मुखौटा लगा ये अमीर घूम रहे 
मेहनत हमारी लूटकर पीके स्कॉच झूम रहे 
गए साल की बेचैनी और बढ़ती जायेगी अब 
जनता और जाग रही आवाज उठायेगी अब 
हम सब गैंग रेपिया माहौल में जी रहे देखो 
कभी दहाड़ने लगते कभी होठ सी रहे देखो 
अराजकता तक हालत को पहोंचवाते हैं जो   
टीयर गैस छोड़ कर भीड़ को भगवाते हैं वो 
संगठित विरोध की आज बड़ी जरूरत देखो 
फासिज्म की वर्ना तो निकल रही मुरत देखो 
लोकतंत्र टाटा अम्बानी का जनता समझ रही 
जनता का लोकतंत्र हो बात कुछ सुलझ रही 
अभी बहुत सी कुर्बानी अगला साल मांगेगा 
कहा नहीं जा सकता अँधेरा बढेगा कि भागेगा 
समाज का पतन रोकना इतना आसान नहीं 
इस पतन में उत्थान के बीजों की पहचान नहीं 
पिछले साल का हिसाब आना है बाकी दोस्तों 
गैंग रेप बढे बलात्कार बहुत धूल फांकी दोस्तों 
पूंजीवादी व्यवस्था का नियम यही बताते देखो 
अमीर और अमीर होते गरीब नीचे ही जाते देखो 
जनता का राज जनता द्वारा जनता के वास्ते 
जनता को चूसने के बनाये गए हैं खास रास्ते 
टी वी पर नए साल का ये जश्न मनाया जायेगा 
कैटरीना का महंगा ठुमका खूब दिल बहलायेगा 
साइनिंग इण्डिया का अलग होगा नया साल 
सफरिंग इण्डिया का होगा ठण्ड में बुरा हाल 
साइनिंग को सफरिंग क्यों ये नजर नहीं आता 
समझा समझा कर रणबीर मैं तो थक जाता 
नए की उम्मीद फिर भी मुबारक नया साल हो 
बदहाली में भी सीखो तो कोई कैसे खुश हांल हो 



 


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