आज के कार्पोरेट की जरूरत है कि
ख़त्म करदे वह हमारे घर परिवार को
उसे एक पशु चाहिए जो सुबह से शाम
करता रहे सलाम उसके राज दरबार को ।।
इन्सान को पशु में बदलना गुर उसका
इसी के जरिये बढ़ाता अपने बाजार को ।।
मानवता प्यार मोहब्बत बलि चढ़ाये
पशुता को नए नाम देकर के संसार को ।।
ख़त्म करदे वह हमारे घर परिवार को
उसे एक पशु चाहिए जो सुबह से शाम
करता रहे सलाम उसके राज दरबार को ।।
इन्सान को पशु में बदलना गुर उसका
इसी के जरिये बढ़ाता अपने बाजार को ।।
मानवता प्यार मोहब्बत बलि चढ़ाये
पशुता को नए नाम देकर के संसार को ।।
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