Munak Village in Karnal Slideshow: Ranbir’s trip to Hansi, Haryana, India was created by TripAdvisor. See another Hansi slideshow. Take your travel photos and make a slideshow for free.
Saturday, November 26, 2011
Friday, November 11, 2011
GADDAR--YEH RACHNA 30 SAAL PAHLE KI HAI
देश की संपत्ति नै ये गद्दार चाट गे
डाक्टर और वकील साहूकार चाट गे
मंदिर में भी जाना उनका सुबह शाम है
दिल में रावन मुंह में उनके राम राम है
मेहनतकश का खून पीना उनका काम है
इन लोगों की जाति का महाजन नाम है
मेहनतकश की मेहनत नै मक्कार चाट गे
भूख गरीबी बेकारी सारी इनकी देन है
बिन दवा मरैं बच्चे नर नारी इनकी देन है
समाज में जो फूट बीमारी इनकी देन है
मांगे दर दर भीख भिखारी इनकी देन है
बाड़ खेत नै धन नै पहरे दर चाट गे
पूँजीवादी राजनीति गोरख धंधा है
राजनीति का पा राख्या तेरे गले फंदा है
मजदूर किसान सच पूछो बिलकुल अँधा है
बन्दूक लूटेरे वर्ग की और तेरा कन्धा है
ऍम एल ए मंत्री अफसर बेसुम्मार चाट गे
मजदूर किसान लड़ा कै तेरह तीन कर दिए
सात करोड़ किसान बिना जमीन कर दिए
दस्तकार मजदूर साधन हीन कर दिए
मुनीश्वर की न मानें शराब मैं लीन कर दिए
हड्डी मांस चाम और घरबार चाट गे
डाक्टर और वकील साहूकार चाट गे
मंदिर में भी जाना उनका सुबह शाम है
दिल में रावन मुंह में उनके राम राम है
मेहनतकश का खून पीना उनका काम है
इन लोगों की जाति का महाजन नाम है
मेहनतकश की मेहनत नै मक्कार चाट गे
भूख गरीबी बेकारी सारी इनकी देन है
बिन दवा मरैं बच्चे नर नारी इनकी देन है
समाज में जो फूट बीमारी इनकी देन है
मांगे दर दर भीख भिखारी इनकी देन है
बाड़ खेत नै धन नै पहरे दर चाट गे
पूँजीवादी राजनीति गोरख धंधा है
राजनीति का पा राख्या तेरे गले फंदा है
मजदूर किसान सच पूछो बिलकुल अँधा है
बन्दूक लूटेरे वर्ग की और तेरा कन्धा है
ऍम एल ए मंत्री अफसर बेसुम्मार चाट गे
मजदूर किसान लड़ा कै तेरह तीन कर दिए
सात करोड़ किसान बिना जमीन कर दिए
दस्तकार मजदूर साधन हीन कर दिए
मुनीश्वर की न मानें शराब मैं लीन कर दिए
हड्डी मांस चाम और घरबार चाट गे
नई लहर
नई लहर
सुनो म्हारी पुकार ,मत करो इंकार ,होवां सब त्यार
नई लहर चलानी सै जरूर
महंगाई नै कसूता वार किया , यो मजदूर किसान मार दिया
सै पक्की बैरी म्हारी ,नाश करैगी भारी ,जिंदगी होगी खारी
इंकि काट बिछानी सै जरूर
सब्सिडी म्हारी ख़तम करैं देखो , अपने घरां नै रोज भरैं देखो
धरती बिकती जा ,जिंदगी धिकती जा, या साँस रूकती जा
किसानी तो बचानी सै जरूर
भ्रष्टाचार नै सीम लांघ दी रै , शर्म खूंटी ऊपर टांग दी रै
बीस मौज करते,अस्सी पानी भरते , तीस भूखे मरते
भूख गरीबी मिटानी सै जरूर
मजदूर कै टोटा घर करग्या , दो किल्ले आला जमा मरग्या
बिना संगठन भाई ,या बैरी की मंजाई, मुश्किल सै बताई
अस्सी की यारी बनानी सै जरूर
सुनो म्हारी पुकार ,मत करो इंकार ,होवां सब त्यार
नई लहर चलानी सै जरूर
महंगाई नै कसूता वार किया , यो मजदूर किसान मार दिया
सै पक्की बैरी म्हारी ,नाश करैगी भारी ,जिंदगी होगी खारी
इंकि काट बिछानी सै जरूर
सब्सिडी म्हारी ख़तम करैं देखो , अपने घरां नै रोज भरैं देखो
धरती बिकती जा ,जिंदगी धिकती जा, या साँस रूकती जा
किसानी तो बचानी सै जरूर
भ्रष्टाचार नै सीम लांघ दी रै , शर्म खूंटी ऊपर टांग दी रै
बीस मौज करते,अस्सी पानी भरते , तीस भूखे मरते
भूख गरीबी मिटानी सै जरूर
मजदूर कै टोटा घर करग्या , दो किल्ले आला जमा मरग्या
बिना संगठन भाई ,या बैरी की मंजाई, मुश्किल सै बताई
अस्सी की यारी बनानी सै जरूर
Wednesday, November 9, 2011
Sunday, November 6, 2011
RAMPHAL
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WHY WE FORGOT ARYA BHATT
आर्य भट्ट क्यों भुला दिया
रमलू ठमलू नफे कविता सविता इतवार की ? नफे बोल्या- के रहया भाई। छोरा छोरी का तो बेरा नहीं पाट लिया। पंचायत नै दोनूं घरां का होका पानी बन्द कर दिया अर पिटाई करी। दोनूं घर गाम छोड़गे। सरिता बोली- फेर न्यूं गाम की गाम मैं क्यूकर काम चालैगा?सविता बोली-चौटाला गाम मैं जिब गाम की गाम मैं ब्याह होवण लागरे तो म्हारे गामां में बी तो 10-10 अर 15 -15 गोत होगे हरेक गाम मैं तो आड़ै गाम की गाम मैं ब्याह क्यों नहीं हो सकदा? षहर के षहर के षहर मैं तो ब्याह हो सकै सै फेर गाम के गाम मैं नहीं हो सकदा?ठमलू बोल्या-बात तो विचार करण की सै। जिस बात नै आपां इतनी घटिया मानां सां उसे बात नै करणिया गााम नै दो दो मुख्यमंत्री अर एक डिप्टी प्राइम मिनिस्टर दिया सै। सांघी गाम मैं बी बताया एक मिर्जापुर खेड़ी अर सांघी के बालकां नै ब्याह कर लिया थ बड्डे स्याणा नै बीच बिचाव करकै बालक फांसी नहीं टूटण दिये थे। वे दोनूं एच ए यू मैं बढ़िया जिन्दगी गुजारण लागरे सैं। इस गाम नै बी एक चीफ मिनिस्टर अर एम पी अर एम एल ए दिए सैं। पुरानी परम्परावां पर बी आज नये समों के हिसाब तै हटकै सोच्चण की जरुरत तो सै। बहोत सी पुरानी चीज जो हमनै नहीं छोड़नी चाहियें थी वे तो हमनै छोड़ दी अर जो छोड़ देनी चाहियें थी इनकी आपां ईब्बी जफी पारे सां। रमलू बोल्या कौनसी परम्परा भूलगे?सविता बोली- स्वयम्बर तै ब्याह करया था दमयन्ती नै राजा नल के गल मैं माला घाल कै। राम नै धनुश तोड़ कै सीता को वरया था। आज अपनी मरजी तै ब्याह करण आल्यां ताहिं फांसी का फरमान। पहलम आले भोजन विज्ञान नै बहोत पौश्टिक बताये। फेर हम तो भूलगे बाजरे की रोटी, गोजी अर खिचड़ी का स्वाद, राबड़ी, काली जाम्मन,पीहल, चने भ्ूान कै होले बना कै खाना भुलगे, गुड़ खाना भुलगे,डण्ड बैठक काढ़ना भुलगे अर आर्य भट्ट नै बी भुलगे। नफे- बात तो सही सैं फेर जमाना बदलग्या तो रंग याहे सबतै बड्डी कमजोरी सै म्हारी। आर्यभट्ट प्राचीन भारत का पहला गणितज्ञ ज्योतिशी था जिसनै पूरी दुनिया ताहिं जीरो का ज्ञान दिया। उसकी इसतै बी बड्डी बात या थी अक उसनै भू भ्रमण का सिद्वान्त सबतै पहलम भारत मैं दिया। प्राणी था।नफे बोल्या होगा इसका म्हारे तै के लेना देना? रमलू बोल्या-यू ए तो रोला सै। हम प्राचीन संस्कृति , प्राचीन परम्परा की बात करां अर उसके बारे मैं जानकारी जीरो होतै हमनै कोए बी भका सकै सै इस पुरानी परम्परा के नाम पै। अर और बी दिलचस्प बात उसके बारे मैं यासे अक जो कुछ आर्य भट्ट नै अपनी किताब मैं लिख्या उसनै तरोड़ मरोड़ कै पेया करण की बहोत कोषिष करी गई। आर्य भट्ट के ग्रन्थ मैं जड़ै जडै़ भू अर कु -पृथ्वी षब्द थे उड़ै उड़ै वे भं-तारामंडल-मैं बदल दिये। दूसरी बात या सै अक इसके ग्रंथ की हस्तलिपियां देया के अधिक्तर भगां मैं तै गायब कर दी गई। उसका जिकरा दूसरे बुद्विजीवियां ने बी करना बन्द कर दिया। लोक भय के कारण भास्कर प्रथम अर दूसरे बुद्विजीवियां नै भी आर्य भट्ट के सिद्वान्तां की व्याख्या भिन्न प्रकार तै करी। सोच्चण की बात सै अक यो लोकभय किन लोगां का था?यू भय समाज के उस हिस्से का था जिसके हित साधन मैं आर्य भट्ट का भू-भ्रमण का सिद्वान्त बाधक बणकै खड़या होग्या था। यू वर्ग था पुरोहित वर्ग,जिसका हित वेदां,धर्मषास्त्रां ,पुराण पोथियों के वचनां की रक्षा की साथ जुड़या औड़ था। आर्यभट्ट का नया भू- भ्रमण का सिद्वान्त पुरानी मान्यताओं का खंडन करै था।वेदां के अर धर्मषास्त्र के हवाले देकै‘अचला’ मतलब ‘पृथ्वी’
का जो लोक विष्वास कायम करया गया था उसन टिकाये राखण मैं सबतै फालतू हित पुरोहित वर्ग का था। प्रभावषाली समाज का तबका लमकै विरोध करया। यूरोप मैं आर्यभट्टके सिद्वान्त का प्रचार हुया अर उड़ै कोपरनिक्स का सूर्य केन्द्र सिद्वान्त भी उभर कै आया अर ब्रूनो नाम के बुद्विजीवी नै घूम घूम कै यूरोप के नगरां मैं इसका प्रचार करया। रोम के इसाई धर्माचार्यां के हुकम तै 1600 मैं ब्रुनो को जिन्दा जला दिया गया। आर्यभट्ट के सिद्वान्त का भारत मैं विरोध अर यूरोप मैं ब्रूनो का जलाया जाना एकै बात सै। आया किमै समझ मैं परम्परा का खेल?
रमलू ठमलू नफे कविता सविता इतवार की ? नफे बोल्या- के रहया भाई। छोरा छोरी का तो बेरा नहीं पाट लिया। पंचायत नै दोनूं घरां का होका पानी बन्द कर दिया अर पिटाई करी। दोनूं घर गाम छोड़गे। सरिता बोली- फेर न्यूं गाम की गाम मैं क्यूकर काम चालैगा?सविता बोली-चौटाला गाम मैं जिब गाम की गाम मैं ब्याह होवण लागरे तो म्हारे गामां में बी तो 10-10 अर 15 -15 गोत होगे हरेक गाम मैं तो आड़ै गाम की गाम मैं ब्याह क्यों नहीं हो सकदा? षहर के षहर के षहर मैं तो ब्याह हो सकै सै फेर गाम के गाम मैं नहीं हो सकदा?ठमलू बोल्या-बात तो विचार करण की सै। जिस बात नै आपां इतनी घटिया मानां सां उसे बात नै करणिया गााम नै दो दो मुख्यमंत्री अर एक डिप्टी प्राइम मिनिस्टर दिया सै। सांघी गाम मैं बी बताया एक मिर्जापुर खेड़ी अर सांघी के बालकां नै ब्याह कर लिया थ बड्डे स्याणा नै बीच बिचाव करकै बालक फांसी नहीं टूटण दिये थे। वे दोनूं एच ए यू मैं बढ़िया जिन्दगी गुजारण लागरे सैं। इस गाम नै बी एक चीफ मिनिस्टर अर एम पी अर एम एल ए दिए सैं। पुरानी परम्परावां पर बी आज नये समों के हिसाब तै हटकै सोच्चण की जरुरत तो सै। बहोत सी पुरानी चीज जो हमनै नहीं छोड़नी चाहियें थी वे तो हमनै छोड़ दी अर जो छोड़ देनी चाहियें थी इनकी आपां ईब्बी जफी पारे सां। रमलू बोल्या कौनसी परम्परा भूलगे?सविता बोली- स्वयम्बर तै ब्याह करया था दमयन्ती नै राजा नल के गल मैं माला घाल कै। राम नै धनुश तोड़ कै सीता को वरया था। आज अपनी मरजी तै ब्याह करण आल्यां ताहिं फांसी का फरमान। पहलम आले भोजन विज्ञान नै बहोत पौश्टिक बताये। फेर हम तो भूलगे बाजरे की रोटी, गोजी अर खिचड़ी का स्वाद, राबड़ी, काली जाम्मन,पीहल, चने भ्ूान कै होले बना कै खाना भुलगे, गुड़ खाना भुलगे,डण्ड बैठक काढ़ना भुलगे अर आर्य भट्ट नै बी भुलगे। नफे- बात तो सही सैं फेर जमाना बदलग्या तो रंग याहे सबतै बड्डी कमजोरी सै म्हारी। आर्यभट्ट प्राचीन भारत का पहला गणितज्ञ ज्योतिशी था जिसनै पूरी दुनिया ताहिं जीरो का ज्ञान दिया। उसकी इसतै बी बड्डी बात या थी अक उसनै भू भ्रमण का सिद्वान्त सबतै पहलम भारत मैं दिया। प्राणी था।नफे बोल्या होगा इसका म्हारे तै के लेना देना? रमलू बोल्या-यू ए तो रोला सै। हम प्राचीन संस्कृति , प्राचीन परम्परा की बात करां अर उसके बारे मैं जानकारी जीरो होतै हमनै कोए बी भका सकै सै इस पुरानी परम्परा के नाम पै। अर और बी दिलचस्प बात उसके बारे मैं यासे अक जो कुछ आर्य भट्ट नै अपनी किताब मैं लिख्या उसनै तरोड़ मरोड़ कै पेया करण की बहोत कोषिष करी गई। आर्य भट्ट के ग्रन्थ मैं जड़ै जडै़ भू अर कु -पृथ्वी षब्द थे उड़ै उड़ै वे भं-तारामंडल-मैं बदल दिये। दूसरी बात या सै अक इसके ग्रंथ की हस्तलिपियां देया के अधिक्तर भगां मैं तै गायब कर दी गई। उसका जिकरा दूसरे बुद्विजीवियां ने बी करना बन्द कर दिया। लोक भय के कारण भास्कर प्रथम अर दूसरे बुद्विजीवियां नै भी आर्य भट्ट के सिद्वान्तां की व्याख्या भिन्न प्रकार तै करी। सोच्चण की बात सै अक यो लोकभय किन लोगां का था?यू भय समाज के उस हिस्से का था जिसके हित साधन मैं आर्य भट्ट का भू-भ्रमण का सिद्वान्त बाधक बणकै खड़या होग्या था। यू वर्ग था पुरोहित वर्ग,जिसका हित वेदां,धर्मषास्त्रां ,पुराण पोथियों के वचनां की रक्षा की साथ जुड़या औड़ था। आर्यभट्ट का नया भू- भ्रमण का सिद्वान्त पुरानी मान्यताओं का खंडन करै था।वेदां के अर धर्मषास्त्र के हवाले देकै‘अचला’ मतलब ‘पृथ्वी’
का जो लोक विष्वास कायम करया गया था उसन टिकाये राखण मैं सबतै फालतू हित पुरोहित वर्ग का था। प्रभावषाली समाज का तबका लमकै विरोध करया। यूरोप मैं आर्यभट्टके सिद्वान्त का प्रचार हुया अर उड़ै कोपरनिक्स का सूर्य केन्द्र सिद्वान्त भी उभर कै आया अर ब्रूनो नाम के बुद्विजीवी नै घूम घूम कै यूरोप के नगरां मैं इसका प्रचार करया। रोम के इसाई धर्माचार्यां के हुकम तै 1600 मैं ब्रुनो को जिन्दा जला दिया गया। आर्यभट्ट के सिद्वान्त का भारत मैं विरोध अर यूरोप मैं ब्रूनो का जलाया जाना एकै बात सै। आया किमै समझ मैं परम्परा का खेल?
विश्वनाथ मंदिर क्यों तोड़ा ?????
साम्प्रदायिक लोग औरंगजेब के बारे में कहते हैं की उसने धर्मिक घृणा के कारण मंदिरों को गिराया , जबकि ऐतिहासिक तथ्य कुछ और ही सच्चाई बताते हैं | वाराणसी का विश्वनाथ मंदिर औरंग जेब ने क्यों गिराया ? इसके बारे में डा- पट्टाभि सीतारमैया ने दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर अपनी पुस्तक "दि फैदर्स एंड दि स्टोंस " में इस तथ्य का वर्णन इस प्रकार किया है ---
विश्वनाथ मंदिर के बारे में कहानी यह है की एक बार जब औरंगजेब बंगाल जाने के लिए वाराणसी से गुजर रहा था तो उसके साथी हिन्दू राजाओं ने अनुरोध किया की यदि वहां एक दिन विश्राम कर लिया जाये तो उनकी रानियाँ गंगा में स्नान करके भगवान विश्वनाथ के दर्शन कर सकती हैं | रानियों ने पालिकाओं में यात्रा की | उन्होंने गंगा में स्नान किया और पूजा के लिए विश्वनाथ मंदिर गयीं | पूजा के बड़ सभी रानियाँ वापस लौट आई , लेकिन कच्छ की रानी वापस नहीं आई | पूरे मंदिर में तलाश की गयी लेकिन रानी कहीं नहीं मिली | जब औरंगजेब को पता चाला तो आग बबूला हो गया | उसने रानी की खोज करने के लिए बड़े आधिकारियों को भेजा | अन्तत: उन्हें पता चाला की दीवार में जड़ी गणेश की मूर्ति को इधर उधर सरकाया जा सकता था | जब मूर्ति को हटाया गया तो उन्हें तहखाने जाने वाली सीढियां मिलीं | वहां रानी को रोते हुए पाया | उसकी इज्जत लूटी जा चुकी थी | तहखाना ठीक भगवान की मूर्ति के नीचे था | राजाओं ने इस जघन्य अपराध के लिए कड़ी सजा की मांग की | औरंगजेब ने आदेश दिया क़ि पवत्र स्थान को अपवित्र कर दिया गया है | भगवान विश्वनाथ को किसी दूसरे स्थान पर ले जाया जाये और महंत को गिरफ्तार करके सजा दी जाये |--------
विश्वनाथ मंदिर के बारे में कहानी यह है की एक बार जब औरंगजेब बंगाल जाने के लिए वाराणसी से गुजर रहा था तो उसके साथी हिन्दू राजाओं ने अनुरोध किया की यदि वहां एक दिन विश्राम कर लिया जाये तो उनकी रानियाँ गंगा में स्नान करके भगवान विश्वनाथ के दर्शन कर सकती हैं | रानियों ने पालिकाओं में यात्रा की | उन्होंने गंगा में स्नान किया और पूजा के लिए विश्वनाथ मंदिर गयीं | पूजा के बड़ सभी रानियाँ वापस लौट आई , लेकिन कच्छ की रानी वापस नहीं आई | पूरे मंदिर में तलाश की गयी लेकिन रानी कहीं नहीं मिली | जब औरंगजेब को पता चाला तो आग बबूला हो गया | उसने रानी की खोज करने के लिए बड़े आधिकारियों को भेजा | अन्तत: उन्हें पता चाला की दीवार में जड़ी गणेश की मूर्ति को इधर उधर सरकाया जा सकता था | जब मूर्ति को हटाया गया तो उन्हें तहखाने जाने वाली सीढियां मिलीं | वहां रानी को रोते हुए पाया | उसकी इज्जत लूटी जा चुकी थी | तहखाना ठीक भगवान की मूर्ति के नीचे था | राजाओं ने इस जघन्य अपराध के लिए कड़ी सजा की मांग की | औरंगजेब ने आदेश दिया क़ि पवत्र स्थान को अपवित्र कर दिया गया है | भगवान विश्वनाथ को किसी दूसरे स्थान पर ले जाया जाये और महंत को गिरफ्तार करके सजा दी जाये |--------
SOME FACTS--सीधा सादा औरंगजेब
सीधा सादा औरंगजेब
सांझी संस्कृति की विरासत -- डा. सुभाष चंदर की किताब से प्रभावित होकर कुछ दिमाग में आया जो आपके सामने है :-
औरंगजेब के बारे मैं उल्टा सीधा तमाम सुनाया यो ||
हिदूंआँ पै जुल्म ढाये नयों हुआ बदनाम दिखाया यो ||
एक दूजी तस्वीर उसकी थामनै आज दिखाऊँ दखे
बहोत सादा जीवन उसका कोण्या झूठ भकाऊँ दखे
अपने हाथां टोपी सीमकै गुजारा करता बताया यो ||
जौ की रोटी शाग मिठाई खुश होके नै खाया करता
अपनी कमाई के साहरै अपना काम चलाया करता
रूक्कात -ए -आलमगीर तै इन बातां का बेरा लाया यो||
भारत की संस्कृति का प्रेमी था घना कसूत बतावैं सें
होली पर एक लिखी कविता रल मिल इने मनावैं सें
रंग गुलाल की होली का त्यौहार हमेश मनाया यो ||
कई भाषाओँ का ज्ञानी औरंगजेब को बताते भाई
अरबी तुर्की हिंदी का चौखा ज्ञाता दर्ज करते भाई
कहै रणबीर सच्चे दिल तै सच का साथ निभाया यो ||
SOME FACTS
औरंगजेब की सेना का सेनापति जय सिंह था जो शिवाजी के विरुद्ध लड़ा था | औरेंग्जेब ने राजा जय सिंह को मिर्जा की उपाधि दी थी | औरंगजेब की सेना में हिन्दू सैनिकों की संख्या मुसल मानों से कहीं अधिक थी | औरंग जेब और शिवाजी की लडई कभी भी हिन्दू और मुस्लमान की लडाई नहीं रही | यह मुगलों और मराठों की लडाई भी नहीं थी | बहुत से इज्जतदार मराठा सरदार हमेशा मुगलों की सेना में रहे | सिंद खेद के जाधव राव के अलावा कान्होजी शिर्के , नागोजी माने, अवाजी ढल, राम चंदर और बहीर जी पंढेर आदि मराठा सरदार मुगलों के साथ रहे |
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Thursday, November 3, 2011
FUTURE TENSE
मास्टरजी - मेरे पापा काम पर गए हैं” – इसका फ्यूचर टेंस कूण बतावैगा ?
छात्र - वो काल भी जावैंगे ….. कौन माई का लाल रोक कै नै दिखावैगा?
KE KAROON
एक रात सावित्री को सपने में उसकी दोस्त बिमला उधार लिए पीस्से वापस देवन आई .
एन उसे टेम उसके पति नै व जगा दी |
सावित्री -”देख्या …थाम सपने में भी मनै खुश देखकै राज्जी कोण्या … !”
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beer's shared items
Will fail Fighting and not surrendering
I will rather die standing up, than live life on my knees: